***
साहित्य लहर

बहुत है

अजय एहसास

ये दिल हर बात को छुपाता बहुत है
दिखता नहीं पर दिल से उसे अपनाता बहुत है ।
नजर कर दे ना कभी कोई गुस्ताखी उनसे
बेचारा दिल इसे समझाता बहुत है ।।

वो देखती नहीं कभी कहीं मुड़ करके तुझे
फिर भी मोहब्बत के सपने सजाता बहुत है ।
कभी तो बोल दे कि उनसे मोहब्बत तुझको
किया है प्यार मगर शरमाता बहुत है ।।

बिछाए पलकें हैं दीदार उनका करने को
कमबख्त इंतजार भी तड़पाता बहुत है ।
मुझे खुद में अकेला ही छोड़ देता है
ये दिल उनके पास ही जाता बहुत है ।।

निगाहें देखना चाहें ना खूबसूरत को
बस उनकी सादगी भाता बहुत है ।
यार कहते हैं कि जाओ करो इजहार तो अब
जब भी नजदीक जाए दिल तो घबराता बहुत है ।।

भले वो दूर रहें पर वो मेरे सामने रहें
करके दीदार उनका दिल सुकूं पाता बहुत है ।
ना तरन्नुम का इल्म और ना ही साज कोई
ज़ेहन में रख के उनको आजकल गाता बहुत है।।

बता रही है आंख रात में ना सोए हो
हो गया इश्क है ये तो जगाता बहुत है ।
हमारी आंख तो खुलती नहीं सुबह जल्दी
खोकर ख्वाबों में उसके दिल ये सुलाता बहुत है।।

तुझसे हूं दूर मगर फिक्र तेरी है मुझको
करीब आके तेरे वो मुझे जलाता बहुत है ।
देख कर तुझको मेरे होंठ भी खिल जाते हैं
दोस्त कहते हैं तू मुस्कुराता बहुत है ।।

ख्याल दिल में ही होती अगर तो जी लेते
मगर दिमाग में भी आता बहुत है।
मोहब्बत है मगर तू इसे “एहसास” तो कर
एक तरफा मोहब्बत तो सितम ढाता बहुत है।।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

अजय एहसास

सुलेमपुर परसावां, अम्बेडकर नगर (उत्तर प्रदेश)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights