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राजनीति

क्या आजमगढ़ में बिछाई जा रही है शिवपाल सिंह यादव के लिए बिसात?

क्या आजमगढ़ में बिछाई जा रही है शिवपाल सिंह यादव के लिए बिसात? अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद आजमगढ़ में उपचुनाव कराए गए, सपा का गढ़ होने के बावजूद इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के दिनेश लाल यादव ने जीत दर्ज की थी। निरहुआ ने लोकसभा के उपचुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव को हराया था। #अजय कुमार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर समाजवादी चाचा-भतीजे के बीच की सियासी दूरियों को लेकर काफी आक्रामक नजर आ रहे हैं। योगी द्वारा बार-बार चाचा शिवपाल यादव को इस बात का अहसास कराया जा रहा है कि भतीजा अखिलेश उनको हर मौके पर अपमानित कर रहा है। विधान सभा सत्र के दौरान यह नजारा कई बार देखने को मिला। जिससे शिवपाल यादव और अखिलेश काफी असहज नजर आए। योगी 2017 से शिवपाल और भतीजे अखिलेश पर तंज कसने का कोई मौका छोड़ते नहीं हैं।

वैसे योगी आदित्यनाथ अकेले नहीं हैं जो चाचा-भतीजे पर तंज कसते हों, बीजेपी के और भी कई नेता भी समय-समय पर चचा-भतीजे को निशाना बनाते रहते हैं, लेकिन इस समय शिवपाल और अखिलेश के बीच के रिश्तों को जिस तरह से कुरेदा जा रहा है, उसकी असली वजह अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव हैं। बताया जा रहा है कि शिवपाल 2024 के चुनाव में आजमगढ़ सीट से आम चुनाव लड़ सकते हैं। उनके नाम पर स्थानीय नेताओं ने सहमति जताई है।

माना जा रहा है कि इसको लेकर पार्टी की तरफ से जल्द औपचारिक घोषणा की जा सकती है। दरअसल, हाल ही ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ में पार्टी के सभी प्रकोष्ठ के अध्यक्षों, विधायकों और पदाधिकरियों की एक बैठक बुलाई थी। इसके बाद यह चर्चा और तेज हो गई कि शिवपाल आजमगढ़ से चुनाव लड़ सकते हैं। इस बैठक में पार्टी महासचिव शिवपाल सिंह यादव को प्रत्याशी बनाए जाने का भी प्रस्ताव रखा गया। इस पर सभी ने समर्थन किया। सूत्र बताते हैं इसे लेकर रणनीति भी तैयार कर ली गई है।

चर्चा यह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव आजमगढ़ लोकसभा सीट से शिवपाल यादव को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। इसीलिए तो बीजेपी सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ ने इस तरह की खबर सामने आते ही कहना शुरू कर दिया है कि हमारे जो चाचा शिवपाल यादव जी..अखिलेश भइया हैं… महेंद्र भइया हैं.. धर्मेंद्र भइया हैं, इन सब लोगों को एक ही चीज़ बताना चाहता हूं कि आजमगढ़ ने आप लोगों को नकार दिया है। अब अगर आप यहां आने की गलती करेंगे तो उसका परिणाम भी आजमगढ़ आपको दिखा देगा, उसका कारण ये है कि आजमगढ़ ने आपको पांच साल का मौका दिया है।

चार साल तक आप एक काम नहीं कर पाए तो यहां के लोगों ने एक साल के लिए निरहुआ को मौका दिया और हमने एक साल में हमने 50 साल का काम लाकर दिखा दिया। निरहुआ ने कहा कि सपा को बताना चाहता हूं कि सिर्फ एक साल नहीं, अगले 25 साल यानी पूरे अमृतकाल में वो आजमगढ़ में रहकर जैसे पीएम मोदी देश को नंबर वन बनाने का संकल्प लिया है, जैसे सीएम योगी ने यूपी को नंबर वन बनाने का संकल्प लिया है, उसी तरह निरहुआ ने आजमगढ़ को नंबर वन बनाने का संकल्प लिया है और मैं इस संकल्प को पूरा करके दिखाऊंगा।





दरअसल साल 2019 के चुनाव में आजमगढ़ लोकसभा सीट से सपा नेता अखिलेश यादव को जीत मिली थी, लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद आजमगढ़ में उपचुनाव कराए गए, सपा का गढ़ होने के बावजूद इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के दिनेश लाल यादव ने जीत दर्ज की थी। निरहुआ ने लोकसभा के उपचुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव को हराया था।



ऐसे में सपा के सामने अब इस सीट पर फिर कब्जा करने की चुनौती है। पार्टी को ऐसे चेहरे की तलाश है, जो स्थानीय नेताओं को एकसूत्र में बांध सके और चुनाव में जीत हासिल कर सके। पिछले कुछ दिनों से इस सीट पर शिवपाल के नाम की तेज चर्चाएं चल रही हैं। फिलहाल, शिवपाल इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट से विधायक हैं। इस सीट से 2014 में मुलायम सिंह यादव ने जीत हासिल की थी।

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क्या आजमगढ़ में बिछाई जा रही है शिवपाल सिंह यादव के लिए बिसात? अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद आजमगढ़ में उपचुनाव कराए गए, सपा का गढ़ होने के बावजूद इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के दिनेश लाल यादव ने जीत दर्ज की थी। निरहुआ ने लोकसभा के उपचुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव को हराया था। #अजय कुमार

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