उत्तराखंड की साहित्यिक धरोहर को सहेजने की पहल: लेखक गांव में जुटे विद्वान
उत्तराखंड की साहित्यिक धरोहर को सहेजने की पहल: लेखक गांव में जुटे विद्वान… प्रथम सत्र में हिंदी और स्थानीय भाषाओं के लेखकों की कार्यशाला का आयोजन हुआ, जहां रचनात्मक लेखन प्रक्रिया पर गहन विमर्श हुआ। समकालीन साहित्य और लेखन की नई संभावनाओं पर चर्चा करते हुए, सत्रों में साहित्यप्रेमियों और लेखकों की सक्रिय भागीदारी ने इस आयोजन को ऊर्जावान बना दिया। #अंकित तिवारी
प्रथम लेखक गाँव थानों देहरादून के लेखक गांव, थानो में आयोजित हो रहा साहित्य, संस्कृति एवं कला महोत्सव न केवल साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का अवसर है, बल्कि यह उभरते लेखकों और कलाप्रेमियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बनकर उभर रहा है। महोत्सव के उद्घाटन से पूर्व दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, जिसमें देश के शीर्ष साहित्यकारों, विद्वानों और संस्कृति प्रेमियों ने भाग लिया, इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) और लेखक ग्राम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य उत्तराखंड की समृद्ध साहित्यिक परंपरा को सशक्त करना और नवोदित लेखकों को सृजनात्मक पथ पर मार्गदर्शन प्रदान करना था। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. सविता मोहन ने अपने उद्घाटन संबोधन में साहित्य और संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। हिंदी और भारतीय भाषाओं की वर्तमान स्थिति पर विशेष चर्चा करते हुए, मुख्य वक्ता डॉ. हटवाल ने इन भाषाओं के विकास और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में उनके बढ़ते महत्व को रेखांकित किया।
प्रथम सत्र में हिंदी और स्थानीय भाषाओं के लेखकों की कार्यशाला का आयोजन हुआ, जहां रचनात्मक लेखन प्रक्रिया पर गहन विमर्श हुआ। समकालीन साहित्य और लेखन की नई संभावनाओं पर चर्चा करते हुए, सत्रों में साहित्यप्रेमियों और लेखकों की सक्रिय भागीदारी ने इस आयोजन को ऊर्जावान बना दिया। 25 अक्टूबर से प्रारंभ होने वाले महा सम्मेलन में भारत के पूर्व राष्ट्रपति और उत्तराखंड के राज्यपाल मुख्य अतिथि होंगे, जबकि भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री डी वाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र शेखावत सहित अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे।
प्रवासी और भारतीय साहित्यकारों की उपस्थिति से यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण साहित्यिक सम्मेलन के रूप में उभरेगा। महोत्सव के दौरान प्रसिद्ध नृत्यांगना सोनल मानसिंह की प्रस्तुति, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का नाटक और ‘लेखक से मिलिए’ जैसे आकर्षक कार्यक्रम साहित्यिक और सांस्कृतिक प्रेमियों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करेंगे। पूर्व केंद्रीय शिक्षामंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इस आयोजन की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त करते हुए उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को सशक्त करने के इस प्रयास की सराहना की।
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हिमालयन विश्वविद्यालय और स्पर्श हिमालय फाउंडेशन इस महोत्सव को सफल बनाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं, जिससे यह महोत्सव साहित्यिक दुनिया के लिए एक नया मील का पत्थर साबित होगा। उत्तराखंड की भूमि पर यह साहित्यिक महाकुंभ न केवल राज्य के लिए, बल्कि समूचे देश के साहित्य प्रेमियों के लिए एक अमूल्य धरोहर बनकर उभर रहा है। यह महोत्सव साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात कर रहा है।