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नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने इंडिगो एयरलाइन संकट पर राहुल गांधी के ‘मोनोपोली मॉडल’ आरोप का खंडन किया और कहा कि यह मामला राजनीति का नहीं बल्कि जनता की सुविधा का है। मंत्री ने सरकार के प्रतिस्पर्धा बढ़ाने वाले प्रयासों और DGCA नियमों के कारण हुई उड़ान रद्दगी की व्याख्या की।
- एयरलाइन संकट पर सरकार का बचाव, मंत्री ने राहुल गांधी के आरोपों का खंडन किया
- राम मोहन नायडू का इंडिगो विवाद पर बयान: जनता की सुविधा प्राथमिकता
- इंडिगो उड़ानों में गड़बड़ी: DGCA नियम और मंत्री का स्पष्टीकरण
- मोदी सरकार ने एयरलाइंस प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया, राहुल गांधी के आरोपों को किया खारिज
नई दिल्ली। इंडिगो एयरलाइन में उड़ानों की रद्दगी और देरी के मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया कि इंडिगो की गड़बड़ी ‘मोनोपोली मॉडल’ की वजह से हुई, जिससे आम नागरिकों को असुविधा और हानि हुई। इसके जवाब में नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने कड़ा पलटवार किया और कहा कि यह मामला किसी राजनीतिक आरोप का नहीं बल्कि जनता की सुविधा से जुड़ा मुद्दा है।
मंत्री ने बताया कि सरकार ने हमेशा एविएशन सेक्टर में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, “हमने लीजिंग कॉस्ट कम करने के लिए कानून बनाए ताकि नए विमान बेड़े में शामिल हो सकें। देश में हवाई यात्रा की मांग लगातार बढ़ रही है और यह सेक्टर नए खिलाड़ियों के लिए अवसर प्रस्तुत करता है।” मंत्री ने राहुल गांधी को सुझाव दिया कि पूरी जानकारी लेकर ही बयान देना चाहिए।
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राहुल गांधी ने इंडिगो की उड़ानों में देरी और रद्द होने की घटनाओं को सरकार के ‘मोनोपोली मॉडल’ की कीमत बताया था। उन्होंने कहा कि आम भारतीय इस एकाधिकार नीति का भुगतान दे रहे हैं और हर सेक्टर में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए।
हालांकि, इंडिगो की उड़ानों में समस्या का मुख्य कारण पायलटों की कमी थी, जो DGCA द्वारा लागू नए फ्लाइट सेफ्टी नियमों से जुड़ी थी। ये नियम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार पायलटों की थकान को रोकने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए थे। इंडिगो को अपने बड़े ऑपरेशनों को नए नियमों के अनुसार क्रू मैनेजमेंट में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बाद में DGCA ने नियमों के कार्यान्वयन पर अस्थायी रोक लगाई, जिससे इंडिगो का संचालन धीरे-धीरे सामान्य होने लगा।
मंत्री राम मोहन नायडू ने स्पष्ट किया कि यह संकट राजनीतिक आरोपों का विषय नहीं है, बल्कि जनता के लिए सुरक्षित और निर्बाध हवाई सेवा सुनिश्चित करने का मामला है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार हमेशा प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और हवाई यात्रा को सुलभ बनाने की दिशा में काम कर रही है। इस विवाद ने एयरलाइन ऑपरेशंस, पायलट क्रू प्रबंधन, सरकारी नियमावली और राजनीतिक बयानबाजी के बीच संतुलन की आवश्यकता को उजागर किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे मामलों में निष्पक्ष जानकारी और तकनीकी समाधान पर ध्यान देना ही सबसे सही रास्ता है।








