
जिनेवा/नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के सत्र में भारत ने पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई। भारतीय राजनयिक और 2012 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी क्षितिज त्यागी ने परिषद के एजेंडा आइटम 4 के दौरान पाकिस्तान द्वारा भारत को घेरने की कोशिश पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए उसके बयानों को “निराधार और भड़काऊ” करार दिया। भारत ने साफ कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के मंच का दुरुपयोग करता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने की कोशिश करता है। भारतीय प्रतिनिधि ने परिषद को याद दिलाया कि पाकिस्तान स्वयं अपने ही नागरिकों पर बम बरसाने वाला देश है और आतंकवादियों को पनाह देने का उसका लंबा इतिहास रहा है।
अवैध कब्जा छोड़ने की दो-टूक मांग
क्षितिज त्यागी ने कहा,
“हमारे क्षेत्र पर लालच करने के बजाय, उनके लिए बेहतर होगा कि वे अपने अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को खाली कर दें और जीवन रक्षक प्रणाली पर निर्भर अर्थव्यवस्था, सैन्य प्रभुत्व से दबाई गई राजनीति और उत्पीड़न से दागदार मानवाधिकार रिकॉर्ड को बचाने पर ध्यान केंद्रित करें।”
उन्होंने जोड़ा कि पाकिस्तान को आतंकवाद का निर्यात करने, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों को शरण देने और अपने ही लोगों पर बमबारी करने से फुरसत मिले तो शायद वह अपनी आंतरिक समस्याओं पर ध्यान दे पाए। भारत की यह कड़ी प्रतिक्रिया पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत की तिराह घाटी के मत्रे दारा गाँव में हुए पाकिस्तानी वायुसेना के हमले की ख़बरों के ठीक एक दिन बाद आई। इस हमले में महिलाओं और बच्चों समेत कम से कम 30 निर्दोष नागरिक मारे गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने वहां के हालात का वर्णन करते हुए बताया कि पूरे इलाके में जले हुए वाहन, ध्वस्त इमारतें और मलबे से निकाले जा रहे शव तबाही की तस्वीर पेश कर रहे थे।
पाकिस्तान के अंदर से भी उठे सवाल
भारत के बयान को और मजबूती तब मिली जब पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (HRCP) ने भी इस हवाई हमले पर सवाल खड़े किए। एचआरसीपी ने नागरिकों की मौत पर आश्चर्य और चिंता जताते हुए पाकिस्तानी सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग की। भारतीय राजनयिक ने कहा कि पाकिस्तान की आदत है कि वह मानवाधिकार परिषद जैसे मंचों पर भारत के खिलाफ “आधारहीन और भड़काऊ बयानबाजी” करता है।
परंतु वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान का खुद का मानवाधिकार रिकॉर्ड दुनिया के सामने बेनकाब है। भारत ने परिषद को आगाह किया कि उसका अधिदेश सार्वभौमिक, वस्तुनिष्ठ और गैर-चयनात्मक बना रहना चाहिए और किसी देश-विशिष्ट एजेंडा से बचना चाहिए, क्योंकि इससे पक्षपात और चयनात्मकता की धारणाएं पैदा होती हैं।
लगातार घिरता पाकिस्तान
भारत की यह सख्त फटकार ऐसे समय आई है जब पाकिस्तान लगातार आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। हाल ही में विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि 2025 तक पाकिस्तान में गरीबी दर 25.3% तक पहुंच सकती है। वहीं, उसके मानवाधिकार उल्लंघन और आतंकवादियों को पनाह देने की घटनाओं ने भी उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कठघरे में खड़ा कर दिया है।