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देहरादून के थानो क्षेत्र में बिना अनुमति और बिना नक्शा पास कराए संचालित मस्जिद की पहली मंजिल को प्रशासन ने सील कर दिया है। एसडीएम के आदेश पर की गई इस कार्रवाई को अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
- एसडीएम के आदेश पर एमडीडीए की बड़ी कार्रवाई, पुलिस बल की मौजूदगी में सीलिंग
- नक्शा पास और पंजीकरण न होने पर मस्जिद निर्माण अवैध घोषित
- कारण बताओ नोटिस के बाद भी दस्तावेज न देने पर गिरी गाज
- शहर के सुनियोजित विकास के लिए अवैध निर्माण पर जीरो टॉलरेंस
देहरादून : राजधानी देहरादून में अवैध निर्माण के खिलाफ प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए थानो क्षेत्र के कंडोगल गांव में संचालित एक मस्जिद की पहली मंजिल को सील कर दिया है। यह कार्रवाई उपजिलाधिकारी के आदेश पर मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा पुलिस बल की मौजूदगी में की गई। जांच में सामने आया कि मस्जिद का निर्माण बिना पंजीकरण और बिना मानचित्र स्वीकृति के किया जा रहा था।
प्रशासनिक जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि एक आवासीय भवन के प्रथम और द्वितीय तल पर बिना किसी वैध अनुमति के मस्जिद का संचालन किया जा रहा था। एमडीडीए के अनुसार, मस्जिद की इंतजामिया कमेटी द्वारा लगभग 20 बाई 40 फीट क्षेत्रफल में निर्माण किया गया, जिसके लिए न तो नक्शा पास कराया गया और न ही आवश्यक विभागीय स्वीकृतियां ली गईं। मामला सामने आने के बाद उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन व विकास अधिनियम के तहत कारण बताओ नोटिस जारी कर निर्माण कार्य पर रोक लगाई गई थी।
प्राधिकरण ने संबंधित पक्ष को कई बार सुनवाई का अवसर दिया, लेकिन न तो संतोषजनक जवाब प्रस्तुत किया गया और न ही कोई वैध दस्तावेज उपलब्ध कराए गए। अवर अभियंता और सहायक अभियंता की तकनीकी आख्या में यह भी उल्लेख किया गया कि थानो न्याय पंचायत क्षेत्र में कोई भी मदरसा उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद में पंजीकृत या मान्यता प्राप्त नहीं है। इसके अतिरिक्त वक्फ बोर्ड के अभिलेखों में भी संबंधित मस्जिद का कोई पंजीकरण दर्ज नहीं पाया गया। प्राधिकरण उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने बताया कि बार-बार शिकायतें मिलने और शमन मानचित्र प्रस्तुत न किए जाने से यह साफ हो गया था कि प्रकरण को जानबूझकर लंबित रखा जा रहा है।
उपलब्ध अभिलेखों और तकनीकी रिपोर्ट के आधार पर एमडीडीए ने अवैध निर्माण के विरुद्ध सीलिंग के आदेश पारित किए, जिन पर गुरुवार को अमल किया गया। डोईवाला के नायब तहसीलदार राजेंद्र सिंह रावत के अनुसार, मस्जिद कमेटी की ओर से यह तर्क दिया गया कि निर्माण के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से आर्थिक सहायता प्राप्त हुई है। हालांकि, जब प्रशासन ने पंजीकरण, मानचित्र और मान्यता से जुड़े दस्तावेज मांगे, तो कमेटी कोई भी वैध अभिलेख प्रस्तुत नहीं कर सकी। इसके बाद उपजिलाधिकारी अपर्णा ढौंडियाल ने निर्माण को अवैध मानते हुए सीलिंग के आदेश दिए। कार्रवाई के तहत मस्जिद के प्रथम तल पर बने कमरे, शौचालय और रसोईघर को सील कर दिया गया है।
चूंकि निचले तल पर लोग निवास कर रहे हैं, इसलिए उन्हें कुछ समय की मोहलत दी गई है। सीलिंग के बाद मुस्लिम सेवा संगठन सहित कुछ लोगों ने एमडीडीए पहुंचकर कार्रवाई पर पुनर्विचार की मांग की, लेकिन प्राधिकरण ने नियमों का हवाला देते हुए किसी भी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया। एमडीडीए उपाध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि प्राधिकरण क्षेत्र में बिना स्वीकृति किया गया कोई भी निर्माण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शहर के सुनियोजित विकास, सुरक्षा और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए अवैध निर्माण के खिलाफ ऐसी कार्रवाई आवश्यक है और भविष्य में भी यह अभियान लगातार जारी रहेगा।





