साहित्य लहर
मैंने सोचना छोड़ दिया…
राजेश ध्यानी सागर
मैंने सोचना छोड़ दिया,
उस तस्वीर को तोड़ दिया।
यहां तक यारों वो प्याला भी
फोड़ दिया।
ज़ाम भरूं जब मैं प्याले मे,
ज़ाम छलक जाता रहा,
बचा समन्दर यादों का
उसे हलक मे छोड़ दिया ।
पलक छपकतें तूफ़ान कहे
ज़ाम तो सहारा मेरा,
जिसने तेरे दिल को
घेंरा है ।
उन यादों को लाया हूं ,
जिसमे कोई तेरा है।
फिर वही तस्वीर दिखें
यारों दिल भी मैंने
तोड़ दिया।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजेश ध्यानी “सागर”वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखकAddress »144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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