कैसी है ये बेबसी
कैसी है ये बेबसी, सूनी है बस्ती सूनी हैं सड़कें. सहमी-सहमी दुनिया सारी है, देखो आज एक और जिंदगी, भूख से अपने हारी है, न जाने कल किसकी बारी है, भूख से दुनिया हारी है। मासूम बचपने पर भी, भूख पड़ी अब भारी है, बालश्रम आज भी जारी है, भूख से दुनिया हारी है। #सुनील कुमार, बहराइच (उत्तर प्रदेश)
कैसी है ये बेबसी
कैसी ये लाचारी है
भूख से दुनिया हारी है।
भूख मिटाने को अपनी
क्या न करती दुनिया सारी है
भूख से दुनिया हारी है।
रोजी-रोटी की तलाश में
भटकती दुनिया सारी है
दिखती नहीं पेट की ज्वाला
पर जलना इनका जारी है
भूख से दुनिया हारी है।
सूनी है बस्ती सूनी हैं सड़कें
सहमी-सहमी दुनिया सारी है
देखो आज एक और जिंदगी
भूख से अपने हारी है
न जाने कल किसकी बारी है
भूख से दुनिया हारी है।
मासूम बचपने पर भी
भूख पड़ी अब भारी है
बालश्रम आज भी जारी है
भूख से दुनिया हारी है।
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