कैसा है हिमाचल का भू-कानून, जो बन गया उत्तराखंड के लोगों की पहली पसंद
कैसा है हिमाचल का भू-कानून, जो बन गया उत्तराखंड के लोगों की पहली पसंद… हिमाचल में कृषि भूमि खरीदने की अनुमति तब ही मिल सकती है जब खरीदार किसान ही हो और हिमाचल में लंबे अरसे से रह रहा हो। हिमाचल प्रदेश किराएदारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 के 11वें अध्याय ‘कंट्रोल आन ट्रांसफर आफ लैंड’की धारा-118 के तहत गैर कृषकों को जमीन हस्तांतरित करने पर रोक है।
देहरादून। उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों से लगातार हिमाचल प्रदेश जैसा सख्त भू-कानून बनाने की मांग हो रही है। आपको बताते हैं कि हिमाचल के भू-कानून में ऐसे क्या प्रावधान हैं, जो उत्तराखंड के लोगों की पहली पसंद बन गया है। हिमाचल में जमीन खरीद का टेनेंसी एक्ट लागू है। इस एक्ट की धारा-118 के तहत कोई भी गैर हिमाचली व्यक्ति हिमाचल में जमीन नहीं खरीद सकता है। अगर आप गैर हिमाचली हैं तो हिमाचल में जमीन खरीदने के लिए आप राज्य सरकार की इजाजत के बाद यहां गैर कृषि भूमि खरीद सकते हैं।
इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश के टेनेंसी और लैंड रिफॉर्म्स रूल्स 1975 की धारा 38ए(3) के तहत आपको राज्य सरकार को यह बताना होता है कि आप किस मकसद से जमीन खरीद रहे हैं। राज्य सरकार उस पर विचार करती है। इसके बाद आपको 500 वर्ग मीटर तक की जमीन खरीदने की अनुमति मिल सकती है।
हिमाचल में कृषि भूमि खरीदने की अनुमति तब ही मिल सकती है जब खरीदार किसान ही हो और हिमाचल में लंबे अरसे से रह रहा हो। हिमाचल प्रदेश किराएदारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 के 11वें अध्याय ‘कंट्रोल आन ट्रांसफर आफ लैंड’की धारा-118 के तहत गैर कृषकों को जमीन हस्तांतरित करने पर रोक है। यह धारा ऐसे किसी भी व्यक्ति को जमीन हस्तांतरण पर रोक लगाती है, जो हिमाचल प्रदेश में किसान नहीं है।
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