आनंदमय जीवन, खुशहाल जीवन
आनंदमय जीवन, खुशहाल जीवन… जब भी समय मिले तब ईश्वर की भक्ति ही करे। भजन कीर्तंन, पूजा पाठ करे। इसी के साथ हर समय प्रेम बांटते चलें। जहां प्रेम है वहां आपसी संबंध भी मजबूत… ✍🏻 सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
ईश्वर ने हमें यह मानव जीवन दिया हैं तो फिर इसे अच्छे कामों में ही लगाइये। बुरे कामों में क्योंॽ आखिर कर्मों का फल तो हमें ही भुगतना हैं तो फिर अच्छे कर्म ही करें। जो जैसा कर्म करता है वैसा ही तो फल भोगता हैं। कर्मों के बंधन से कोई भी नहीं बच सकता। अगर आप से कोई गलती भी हुई हो तो अपना गुनाह जरूर कबूल करे, ताकि कोई निर्दोष सजा न पा सके। जब हमें सजा से डर लगता है तो फिर बुरे कर्म ही क्यों करेंॽ
हमेंशा जीवन में नेक कर्म करो और पुण्य कमाओं। पुण्य कर्म करके जीवन को बेहतर बनाये। अब भी वक्त हैं कि अपने जीवन को संवार लिजिए और पिछले कर्मों को एक बुरा स्वप्न समझ कर भूल जाइये। वहीं उसकी सजा को ईश्वर का प्रसाद समझकर भुगत लिजिए। चूंकि बुरे कर्मों का बुरा ही फल होता हैं। जीवन में किसी का भी अहित न करें.
जब भी समय मिले तब ईश्वर की भक्ति ही करे। भजन कीर्तंन, पूजा पाठ करे। इसी के साथ हर समय प्रेम बांटते चलें। जहां प्रेम है वहां आपसी संबंध भी मजबूत व सुदृढ होते हैं। जहां प्रेम है वहीं मान सम्मान है। आंखों पर कभी भी क्रोध व अंहकार की पट्टी न बांधे। अपितु सभी के जीवन में स्नेह का पुष्प खिलाईए। प्रेम, स्नेह व सत्कार की सौगात बांटे और जीवन को आनंदमय बनायें।
परमात्मा ने हमें यह मानव जीवन उपहार स्वरूप दिया है तो फिर इसका अधिक से अधिक उपयोग सद्कार्यो में कीजिए और जीवन में ऐसी महक महकाएं की उसकी खुशबू दूर तक फैल जाये। जीवन ऐसा जीओं की हमारें मरने के बाद भी लोग हमारे कार्यो को देखकर हमें सदा याद करे।
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