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उत्तराखण्ड समाचार

निजी स्कूलों में दाखिले के लिए निर्णय नहीं ले पा रही सरकार

निजी स्कूलों में दाखिले के लिए निर्णय नहीं ले पा रही सरकार, उनका यह भी कहना है राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत छह साल से अधिक उम्र के बच्चे का पहली कक्षा में एडमिशन होना है।

देहरादून। प्रदेश में नया शिक्षा सत्र शुरू हुए 22 दिन हो चुके हैं, लेकिन शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में अपवंचित एवं कमजोर वर्ग के बच्चों के दाखिले की प्रक्रिया को लेकर अब भी असमंजस की स्थिति बनी है। दाखिले इस साल कब से शुरू होंगे। ऑनलाइन होंगे या ऑफलाइन अभी यह भी तय नहीं हो पाया है। वर्तमान में राज्य में 87 हजार बच्चे आरटीई के तहत निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं।

आरटीई के तहत निजी स्कूलों में अपवंचित एवं कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत कोटा होता है। विभाग की ओर से हर साल नया शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले जनवरी एवं फरवरी में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। मार्च में इसके लिए आवेदन मांग लिए जाते हैं, लेकिन इस साल अब तक दाखिले तो दूर विभाग की ओर से आवेदन तक नहीं मांगे गए हैं।

विभागीय अधिकारी इसमें देरी की वजह आरटीई के तहत दाखिलों के लिए ऑनलाइन साफ्टवेयर उपलब्ध कराने वाली संस्था के साथ तीन साल का करार खत्म होना बता रहे हैं। उनका यह भी कहना है राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत छह साल से अधिक उम्र के बच्चे का पहली कक्षा में एडमिशन होना है। इसके लिए आरटीई एक्ट में भी संशोधन का प्रस्ताव है।

ऑनलाइन साफ्टवेयर उपलब्ध कराने वाली संस्था से भी करार बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। वहीं कुछ लोगों का कहना है यदि आरटीई के तहत छह साल से अधिक के बच्चों के दाखिले को अनिवार्य किया गया तो कई बच्चे स्कूल से वंचित हो सकते हैं। शिक्षा विभाग में इस साल सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा लाखों छात्र-छात्राओं को उठाना पड़ रहा है।

छात्रों को अब तक मुफ्त किताबें नहीं मिलीं, जबकि आरटीई के तहत अपवंचित और कमजोर वर्ग के बच्चों के दाखिले के लिए भी अब तक आवेदन नहीं मांगे गए हैं। आरटीई के तहत निजी स्कूलों में कोटे की 25 प्रतिशत सीटों पर समाज के वंचित एवं कमजोर वर्ग के बच्चों का दाखिला होता है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, दिव्यांग, तलाकशुदा, एचआईवी पॉजिटिव आदि बच्चे वंचित वर्ग में आते हैं, जबकि ऐसे अभिभावक जिनकी अधिकतम वार्षिक आय 55 हजार एवं उससे कम होती है एवं बीपीएल वर्ग के बच्चे कमजोर वर्ग में आते हैं।

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शिक्षा सचिव और शिक्षा महानिदेशक दोनों को निर्देश दिया गया है कि आरटीई के तहत पिछले साल जिस तरह से बच्चों के दाखिले हुए इस साल भी उसी प्रक्रिया को अपनाया जाए। अगले साल से विद्या समीक्षा केंद्र के माध्यम से बच्चों के ऑनलाइन दाखिले होंगे।
-डॉ.धन सिंह रावत, शिक्षा मंत्री


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