
सुनील कुमार माथुर
दीनानाथ के पिता का देहान्त उसके जन्म के कुछ दिन बाद ही हो गया था । मां ने ही उसे पालपोस कर बडा किया । अभी वह दस साल का हुआ ही था कि मां ऐसी बीमार पडी कि काफी उपचार के बावजूद भी उसके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो पा रहा था । येन केन प्रकारेण दीनानाथ पोवा बेच कर अपना व मां का पेट भर रहा था ।
रोज कि तरह वह रविवार को भी पोवा बेचने के लिए शहर के चौराहे पर गया था । अभी दो – तीन प्लेट पोवा ही बेच पाया था कि चौराहे पर भगदड मच गई । दो गुटो में झगडा हो गया और बात इतनी बढ गई कि पुलिस को लाठी चार्ज करना पडा । आंसू गैस छोडी और देखते ही देखते शहर में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया ताकि बिना वजह अफवाह न फैले ।
इस भगदड में दीनानाथ के सारे पोवे सडक पर बिखर गये और दंगाइयों ने एक लठ उसके सिर पर मारी जिससे उसके सिर में गहरी चोट लगी । उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां डाॅक्टरो ने उसे मृत घोषित कर दिया ।
सरकार की ओर से मृतक दीनानाथ की मां को पांच लाख की तत्काल आर्थिक सहायता राशि दी गयी । विभिन्न दलों के नेताओं ने मृतक दीनानाथ के घर जाकर शोक व्यक्त किया और अपने घडियाली आंसू बहाकर दीनानाथ के चित्र के सामने श्रद्धा सुमन अर्पित किये ।
लेकिन इधर मां का इकलौता बेटा इस संसार से जा चुका था वह बीमार मां दोष दे भी तो किसे दे । अपनी किस्मत को , दंगाइयों को , प्रशासन व सरकार को , लाठीचार्ज , आंसू गैस या कर्फ्यू को । मगर अब क्या हो उसका लाल तो इस दुनियां से जा चुका था । फर्क किसी को भी नहीं पडा । फर्क पडा तो उस बीमार मां को । रह गया बस उसके जीवन में अकेलापन और सुनापन ।
क्या मिला दंगाइयों को किसी निर्दोष का धर – परिवार को उजाड कर । यह एक जटिल सवाल आज भी उस मां के दिल में बार – बार उठ रहा हैं कि मेरे बेटे का क्या दोष था । वह तो निर्दोष था । आखिर दंगाइयों की ऐसी शर्मनाक घटनाओं के कारण कब तक निर्दोष लोगों के घर इसी प्रकार उजडते रहेगे दीनानाथ कि हत्या करके दंगाइयों ने क्या हासिल कर लिया ।
अगर अपना पराक्रम या वीरता को दिखाना हैं तो सेना में भर्ती होकर दुश्मनों को पराजित कर राष्ट्र की सेवा करे । इस तरह के दंगे – फसाद कर अपने ही समाज व राष्ट्र को हानि पहुंचाना कोई वीरता या बहादुरी नहीं है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
![]() | From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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