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आपके विचार

धरती पर चलते फिरते भगवान

धरती पर चलते फिरते भगवान… माता-पिता का दर्द उनसे समझों जिनके माता-पिता इस नश्वर संसार में नहीं है या वे अपनी संतान को कम उम्र में ही अपने प्रेम स्नेह से वंचित कर इस लोक से परलोक सिधार गए याद रखिए माता-पिता के भरोसे को कभी भी कमजोर मत होने दीजिए। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान

हमारे माता-पिता इस धरती पर चलते फिरते भगवान हैं। इसलिए उनका स्थान वृध्दाश्रम में नहीं अपितु हमारे दिल में होना चाहिए। वे न केवल हमारे पालनहार है अपितु इस धरती पर चलते फिरते भगवान हैं। वे हमें हर वक्त परेशानियों, विपदाओं व हर प्रकार के संकट से बचाते रहते हैं और समय समय पर हमारा सही मार्गदर्शन करते रहते हैं।‌

इतना ही नहीं वे हर वक्त हमारे साथ खडे रहते हैं और हमें संकट से निकाल कर ही दम लेते हैं। वे जब तक ऐसा नहीं कर लेते, तब तक उन्हें चैन नहीं मिलता है। इसीलिए माता-पिता को कभी भी किसी भी प्रकार का कष्ट न दें। कभी भी उनकी आज्ञा की अवहेलना न करें। उनका अपमान करना परमात्मा का अपमान करना हैं।

माता-पिता का दर्द उनसे समझों जिनके माता-पिता इस नश्वर संसार में नहीं है या वे अपनी संतान को कम उम्र में ही अपने प्रेम स्नेह से वंचित कर इस लोक से परलोक सिधार गए याद रखिए माता-पिता के भरोसे को कभी भी कमजोर मत होने दीजिए। उनके आर्शीवाद का ही परिणाम है कि हम अपने लक्ष्य को हासिल कर रहे हैं और निरन्तर बिना बाधा के आगें बढ रहे हैं।

इंसानियत के गुनहगार


माता-पिता का दर्द उनसे समझों जिनके माता-पिता इस नश्वर संसार में नहीं है या वे अपनी संतान को कम उम्र में ही अपने प्रेम स्नेह से वंचित कर इस लोक से परलोक सिधार गए याद रखिए माता-पिता के भरोसे को कभी भी कमजोर मत होने दीजिए।

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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