साहित्य लहर
गजल : ग़म को आसान कर लिया हमने
गजल : ग़म को आसान कर लिया हमने… तुम भी सजदा करो कभी आकर, ख़ुद को भगवान कर लिया हमने। अपने बच्चों को हर खुशी देकर, झूठा अभिमान कर लिया हमने। पेट पांवों में घुस गया है ‘शजर’… #विनोद सिंह नामदेव “शजर”, साहित्यकार एवं शिक्षाविद (इंदौर, मध्य प्रदेश)
ग़म को आसान कर लिया हमने।
जान सब जान कर लिया हमने।
ज़िंदगी बोझ बन के रहती है,
इतना सामान कर लिया हमने।
झूठ, आंसू, फरेब, बेईमानी,
सबका उत्थान कर लिया हमने।
कच्चे धागे समेट कर ख़ुद ही,
कपड़े को थान कर लिया हमने।।
दिल की सूखी ज़मीं पे बारिश की,
बूंद का भान कर लिया हमने।
तुम भी सजदा करो कभी आकर,
ख़ुद को भगवान कर लिया हमने।
अपने बच्चों को हर खुशी देकर,
झूठा अभिमान कर लिया हमने।
पेट पांवों में घुस गया है ‘शजर’
कितना मद्यपान कर लिया हमने
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