साहित्य लहर

प्यार का एहसास

विकास कुमार
अन्छा दाउदनगर, औरंगाबाद (बिहार)

कभी हमारी मुलाकात हो या न हो बस मेरा हर बात याद रखना,
जिस दिन तुम मेरे लिए तड़पी थी बस ओ रात याद रखना।

कल को मेरी चेहरा तुम्हे याद हो ना हो बस फोटो साथ रखना।
चाहे हम जहाँ भी रहे जिस हाल में रहे बस मुझे न तुम परखना।।

मैं अगर पागल भी हो जाऊ, तो तुम मुझे बस पागल मत कहना।
मुझे देखकर तुम्हे दर्द भी हो, तो तुम मुझे भूलकर भी सहना।।

मैं तो टूट के बिखर गया हूं, अब न हो पाता मुझे कोई बहाना।
इस दुनिया भरी बाजार में तुम्हे, मिल जायेंगे भले हजार दीवाना।।

Devbhoomi Samachar

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