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चित्रकूट की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बहू से दुष्कर्म और जान से मारने की धमकी देने के दोषी ससुर को 10 वर्ष की सश्रम कैद और 18 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला घरेलू हिंसा और महिला अपराधों के खिलाफ न्यायपालिका के सख्त रुख को दर्शाता है।
- घरेलू रिश्तों की आड़ में अपराध पर फास्ट ट्रैक कोर्ट की सख्ती
- दुष्कर्म और धमकी के मामले में ससुर को 18 हजार रुपये जुर्माना
- पति की गैरमौजूदगी में बहू से दरिंदगी, न्यायालय ने दिलाया न्याय
- चित्रकूट कोर्ट का संदेश—महिला अपराध पर कोई नरमी नहीं
चित्रकूट | चित्रकूट जिले में महिला सुरक्षा से जुड़े एक गंभीर मामले में न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए बहू से दुष्कर्म करने वाले ससुर को दोषी ठहराया है। अपर सत्र न्यायाधीश एवं फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश नीरज कुमार श्रीवास्तव ने मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद आरोपी को 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई, साथ ही उस पर 18,000 रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया।
मऊ थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली पीड़िता ने 23 फरवरी 2020 को पुलिस में दी गई तहरीर में बताया था कि उसका पति काम के सिलसिले में दूसरे प्रदेश में रहता था। घर में सास और ससुर ही रहते थे। सास के खेत जाने के दौरान आरोपी ससुर ने मौके का फायदा उठाकर पीड़िता के साथ जबरदस्ती दुष्कर्म किया और विरोध करने पर उसे जान से मारने की धमकी दी।
घटना की जानकारी बाद में सास को दी गई। दुष्कर्म के चलते पीड़िता गर्भवती हो गई और कुछ समय बाद उसने मृत बच्चे को जन्म दिया। इसके बावजूद आरोपी की आपराधिक हरकतें नहीं रुकीं और उसने दोबारा भी दुष्कर्म किया। लगातार धमकियों और भय के कारण पीड़िता अंततः अपने पिता के साथ मायके चली गई और वहां से पुलिस की शरण ली।
पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना शुरू की। जांच अधिकारी एसआई केशरी प्रसाद यादव ने साक्ष्यों के आधार पर 24 अप्रैल को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। फास्ट ट्रैक कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान प्रस्तुत गवाहियों और दस्तावेजों के आधार पर अदालत ने आरोपी को दोषी पाया और कड़ी सजा सुनाई।
यह फैसला महिला अपराधों के खिलाफ न्यायपालिका की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है और समाज को स्पष्ट संदेश देता है कि पारिवारिक संबंधों की आड़ में किए गए अपराधों पर कानून पूरी सख्ती से कार्रवाई करेगा।






