
-सुनील कुमार माथुर
स्वतंत्र लेखक व पत्रकार, सदस्य अणुव्रत लेखक मंच, जोधपुर, राजस्थान
सुमन सागर त्रैमासिक पत्रिका भले ही 28 पृष्ठ की पत्रिका है, लेकिन यह एक पारिवारिक पत्रिका है। पत्रिका की सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक श्रेष्ठ रचनाएं हैं। पत्रिका का मुखपृष्ठ बड़ा ही आकर्षक है। संपादक संजीव आलोक ने गागर में सागर भरने का प्रयास किया है।
अक्टूबर – नवंबर – दिसंबर 2025 के इस अंक में आत्मा-परमात्मा का संबंध, समृद्धि रुपी लक्ष्मी, मन की उड़ान, आस्था के दीप, स्वाद के गुलाम न बनें, कौन जीता, जिसने तुझे बनाया, दीपोत्सव का उल्लास, व्यंग्य आदमी की कुत्ता फजीहत, रिश्तों की सिलाई जैसी ढेरों रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। सभी रचनाकार धन्यवाद और साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने इस पारिवारिक पत्रिका में अपनी सुन्दर लेखनी का जलवा दिखाया है।
पत्रिका का मुखपृष्ठ आकर्षक है और इसकी छपाई, गेटअप व मेकअप काफी अच्छा है। पाठकों को यह पत्रिका व्हाट्सएप पर पढ़ने के लिए भी मिली है।
पुस्तक समीक्षा — सुमन सागर (त्रैमासिक)
प्रकाशन का 25वां वर्ष
अक्टूबर – नवंबर – दिसंबर
संपादक: संजीव आलोक
मुद्रक व प्रकाशक: श्याम बिहारी आलोक, विनीता भवन, काजीचक, बाढ़ – 803213, पटना (बिहार)
पृष्ठ: 28
एक प्रति: 150 रूपये
समीक्षक: सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
Good Patrika
Nice written