प्रयोग हमें सत्य तक पहुंचाने में मदद करते हैं : कमलेश जोशी
प्रयोग हमें सत्य तक पहुंचाने में मदद करते हैं : कमलेश जोशी, कार्यशाला में विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के 40 बच्चों ने प्रतिभाग किया। एक प्रतिभागी मान्या पाठक ने कहा कि उन्होंने इस तरह की कार्यशाला में पहली बार प्रतिभाग किया, जिसमें उन्हें खेल खेल में बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। #रिपोर्ट : भगवत जोशी, गंगोलीहाट (पिथौरागढ़)
महाकाली विद्या मंदिर गंगोलीहाट में चल रही पांच दिवसीय बाल सृजनात्मक कार्यशाला के समापन अवसर पर बच्चों द्वारा तैयार दीवार पत्रिकाओं,पेपर क्राफ्ट और विज्ञान मॉडल्स की प्रदर्शनी लगाई गई। उल्लेखनीय है कि एम के वी एम गंगोलीहाट में पिछले पांच दिनों से बच्चों में सूक्ष्म अवलोकन, आलोचनात्मक चिंतन, रचनात्मकता, सहज अभिव्यक्ति और सहभागिता जैसे 21वीं सदी के जरूरी कौशलों के विकास के उद्देश्य से 6से 14 वय वर्ग के बच्चों के लिए एक सृजनात्मक कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा था। इस कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों की उपस्थिति में कविता, कहानी,डायरी,यात्रा वृतांत, संस्मरण,पहली आदि विधाओं में लेखन,स्टोरी टेलिंग ,कविता पाठ, विज्ञान के मॉडल बनाना ,दीवार पत्रिका सृजन,अभिनय और एंकरिंग करना आदि गतिविधियां करवाई गईं।
कार्यशाला में पहले दिन बच्चों को खेल-खेल में नरेश सक्सेना की कहानी,गुलजार की पहेलियों और सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविता के माध्यम से कहानी,कविता पहेली , साक्षात्कार आदि विधाओं में लेखन का अभ्यास करवाया गया। बच्चों ने पुराने अखबारों से कैरी बैग बनाना भी सीखा। कार्यशाला के दूसरे दिन बाल विज्ञान खोजशाला बेरीनाग के संचालक विज्ञान प्रसारक कमलेश जोशी और महेंद्र ने बच्चों को विज्ञान से जुड़ी रचनात्मक गतिविधियां करवाई। नन्ही कलम के संपादक आशीष चौधरी ने पेपर क्राफ्ट के गुर सिखाए। कार्यशाला के दूसरे दिन की शुरुआत एक रोचक प्रेरक गीत से हुई।
कमलेश जोशी ने विज्ञान के प्रयोग कर दिखाते हुए कहा कि प्रयोग हमें सत्य तक पहुंचाने में मदद करते हैं। विज्ञान किसी बात को मानने से पहले जानने पर बल देता है। उन्होंने कार्बनडाइऑक्साइड के बनाने की प्रक्रिया, चुंबक, वायुदाब, दृष्टि भ्रम,हवा जगह घेरती है, गरम होकर हवा ऊपर उठ जाती है आदि अवधारणाओं को प्रयोग के द्वारा स्पष्ट किया। बाल सृजनात्मक कार्यशाला के तीसरे दिन लेखन के गुर सिखाते हुए साहित्यकार महेश चंद्र पुनेठा ने कही। उन्होंने लेखन अभ्यास पर बल देते हुए कहा कि लिखना ,लिखने से ही आता है। जितना अधिक अपने भावों,विचारों और अपने देखे का अभ्यास किया जायेगा,उतना अधिक लेखन कौशल मजबूत होगा। लेखन के लिए सबसे जरूरी है अपने आसपास की प्रकृति और जीवन का बारीक अवलोकन करना। हम जितनी बारीकी से देखते हैं,उसे उतनी बारीकी से लिख सकते हैं।
पान मसाला कारोबार को लगी तीन हजार करोड़ की नजर
उन्होंने ने कार्यशाला में बच्चों को यात्रा वृत्तांत लिखने के लिए सुझाव दिए कि वे अपने देखे हुए अनुभवों और मन में उठे भावों और विचारों को छोटे छोटे वाक्यों में आम बोलचाल की भाषा में अभिव्यक्त करें। इससे पहले बच्चों को प्रसिद्ध साहित्यकार नरेश सक्सेना का लिखा एक रोचक संस्मरण “भूत बंगले की वह रात” सुनाया गया। कहानी सुनाने की कला के बारे में बच्चों को बताया गया।
“नन्ही कलम” के संपादक आशीष चौधरी द्वारा बच्चों को कागज से कौवा और मुकुट बनाना सिखाया गया। बच्चों ने खुद कागज से इन चीजों का निर्माण किया। बच्चों ने अपने अपने मुकुट पहनकर राजा रानी का अभिनय करते हुए अपने अपने राज्य की विशेषताओं के बारे में बताया।
कार्यशाला के चौथे दिन पेपर से खिलौने बनाना,बारिश और कड़ी ठंड के बावजूद बच्चों का उत्साह ठंडा नहीं हुआ। बच्चों ने खिलौने बनाए। कहानी सुनी। कविता लिखी। चित्र बनाए। चर्चा की। पता ही नहीं चला तीन घंटे कब गुजर गए। कार्यशाला के मुख्य संदर्भदाता और “दीवार पत्रिका: एक अभियान” के संयोजक महेश चंद्र पुनेठा ने कहा कि बच्चों के भीतर अपार क्षमताएं होती हैं, बस उन पर विश्वास करते हुए उन्हें अवसर देने की जरूरत होती है। इस तरह की कार्यशालाएं बच्चों को अपनी रचनात्मकता को प्रकट करने के अवसर प्रदान करती हैं। स्कूल और समुदाय की जिम्मेदारी है कि बच्चों को ऐसे अधिक से अधिक मौके उपलब्ध करवाए।
कार्यशाला में विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के 40 बच्चों ने प्रतिभाग किया। एक प्रतिभागी मान्या पाठक ने कहा कि उन्होंने इस तरह की कार्यशाला में पहली बार प्रतिभाग किया, जिसमें उन्हें खेल खेल में बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। हिमाद्रि पंत ने कहा कि ऐसी कार्यशालाएं आगे भी होनी चाहिए। गतिविधियां करने में खूब मजा आया। इस कार्यशाला के आयोजक एम के वी एम गंगोलीहाट के प्रधानाचार्य गोविंद भंडारी ने कहा कि इस क्षेत्र में बच्चों में रचनात्मकता के विकास की दिशा में यह एक नई शुरुआत है। इससे क्षेत्र में रचनात्मकता का वातावरण बनेगा। इसे हम नियमित रूप से आगे बढ़ाएंगे। ऐसी कार्यशालाएं न केवल बच्चों के लिए बल्कि शिक्षकों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होती हैं।
असिस्टेंट प्रो. जे एन पंत ने बच्चों द्वारा तैयार दीवार पत्रिकाओं का अवलोकन करते हुए कहा कि बच्चों में कल्पनाशीलता, चिंतन और अभिव्यक्ति को बढ़ाने की दृष्टि से दीवार पत्रिका एक सशक्त माध्यम है। इससे बच्चों को लेखन का अभ्यास करने का अधिक से अधिक मौका मिलता है। दीवार पत्रिका को बहुत कम लागत में किसी भी स्कूल में बच्चों द्वारा तैयार किया जा सकता है। “नन्ही कलम” के संपादक और पेपर क्राफ्ट के संदर्भदाता आशीष चौधरी ने बच्चों द्वारा तैयार कलाकृतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि बच्चों ने बहुत कम समय में बहुत अच्छा काम किया। सीखने के प्रति वे काफी उत्सुक दिखे। इससे पता चलता है कि जिन कामों को करते हुए बच्चे आनंद महसूस करते हैं,उन्हें जल्दी सीख लेते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ काम करते हुए उन्हें समझने का मौका मिला।
कार्यशाला में एम के वी एम के प्रबंधक एन सी कोठरा, जनता पुस्तकालय के संचालिका शीला पुनेठा, रेनेसां स्कूल के प्रधानाचार्य त्रिभुवन रावल, शिक्षक भगवत जोशी, किशोर जोशी, रेनेसां के प्रधानाचार्य त्रिभुवन रावल ,चित्रकला प्रशिक्षक रेनू पाठक, विद्यालय की शिक्षिकाएं नीता उप्रेती,मंजू बोहरा, कंचन पंत सहित बच्चों के अभिभावक उपस्थित रहे।