संयम बरतें

सुनील कुमार माथुर
जीवन में संयभ का बडा ही महत्व है । अतः व्यक्ति को संयम का जीवन व्यतीत करना चाहिए । व्यक्ति को खान – पान में भी संयम बरतना चाहिए और क्रोध एवं वाणी पर भी संयम बरतना चाहिए अन्यथा बना बनाया काम बिगड जाता हैं । संयम पूर्ण जीवन ही तो हमारी सबसे बडी पूंजी हैं जिसे कोई छीन नहीं सकता । कोई चुरा नहीं सकता और न ही इसका बंटवारा किया जा सकता हैं ।संयम का जीवन व्यतीत करना हैं तो नकारात्मक सोच से हमेशा दूर रहें।
व्यक्ति को हमेशा नेक दरियादिल होना चाहिए और असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए अपितु और अधिक आत्मविश्वास के साथ आगें बढना चाहिए चूंकि मेहनत का फल अवश्य ही मिलता हैं । जीवन में इस बात को सदैव याद रखें कि अधिक लाभ पाने के चक्कर में कभी भी कोई गलत कार्य न करें अन्यथा आप फंस सकते हैं । किसी का बुरा करना तो दूर की बात हैं अपितु किसी के बारे में बुरा सोचना भी पाप हैं ।
आप अपने नेक कर्म करते हैं तो दूसरे लोग स्वतः ही आपकी ओर आकर्षित होते चले आयेंगे । हर किसी के साथ तालमेल जरूर रखिये लेकिन किसी भी अनजान व्यक्ति पर यकायक विश्वास न करें । वाणी और व्यवहार मे संभल कर चलें । भागीदारों के साथ अच्छे संबंध बनायें रखें । प्रेम व विनम्रता से रहें।
दृढ मनोबल व आत्मविश्वास के साथ प्रत्येक कार्य को करें सफलता अवश्य ही मिलेगी । वही सुख – शांति भी बनी रहेगी । कभी भी भावुकता में न बहें वरना नुकसान आपका ही होगा । व्यर्थ के वाद – विवादों से दूर रहें । वरना धन व प्रतिष्ठा की हानि हो सकती हैं ।
यह तो माया रूपी संसार हैं । छल कपट , दिखावा , धोखाधडी , ईर्ष्या , लोभ लालच व अंहकार यहां की जनता में कूट – कूट कर भरा हुआ हैं बस हमें इन सबसे बचकर रहना हैं और अपनी मान – मर्यादा को बनाये रखना हैं । जो सच्चाई व ईमानदारी के मार्ग पर चलता हैं प्रभु उसी का हाथ थामते है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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