साहित्य लहर
सुख-दुःख में काम आती हैं बेटियां
सुनील कुमार
सुख दुःख में काम आती हैं बेटियां
जीवन भर साथ निभाती हैं बेटियां
मां-बहन बेटी-बहू
कितने फर्ज निभाती हैं बेटियां
पढ़ लिख कर का मान बढ़ाती हैं बेटियां
दुःख मां-बाप का सह नहीं पाती हैं बेटियां
सुन खबर मां-बाप के परेशानियों की
नंगे पांव दौड़ी चली आती हैं बेटियां
जीवन भर साथ निभाती हैं बेटियां।
बांध भाई की कलाई पर स्नेह का धागा
रक्षा कवच बन जाती हैं बेटियां
वक्त पड़े तो दुर्गा-काली बन जाती हैं बेटियां
बेटी रूप में घर बाबुल का चहकाती हैं बेटियां
पत्नी रूप में घर पति का महकाती हैं बेटियां
स्नेह से अपने घर-आंगन को स्वर्ग बनाती हैं बेटियां।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमारलेखक एवं कविAddress »ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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