उधार रकम देकर संबंधों को न बिगाड़े
सुनील कुमार माथुर
रविवार का दिन था और कडकती सर्दी पड रही थी । लेखक महोदय अपने मित्र के साथ धूप मे बैठकर चाय की चुस्कियों के साथ साहित्यिक चर्चा कर रहे थे तभी लेखक महोदय के पास उनका एक मित्र आया और बोला लेखक महोदय मैं आपके आलेख , कविताएं और पुस्तक समीक्षा आये दिन पत्र पत्रिकाओ में पढता रहता हूं और सोचता हूं कि आपके पास आर्टिकल लिखने के लिए इतने विषय और विचार कहां से आते हैं और कब व कैसे इतना लिख लेते है ।
लेखक महोदय ने कहा बंधु हमारे पास जो भी सज्जन आते है वे कोई न कोई विषय , समस्या लेकर आता हैं और हमें बातो ही बातो मे बहुत कुछ बताकर हमें लिखने के लिए बहुत कुछ मसाला दे जाते हैं । जैसे आप आये है तो आप भी कुछ मसाला लायें होगे । मित्र बोला हमारे पास कहा हैं मसाला।
बातों ही बातों में मित्र बंधु बोला । हमारे एक मित्र ने एक लाख रूपये उधार लिए थे और अब रूपये नहीं दे रहा है और उलटा नोटिस दिया है कि जो रुपये उधार लिए थे वह राशि समय पर दो किश्तों में ५० – ५० हजार करके चुकता कर दिये थे अब आप मुझे बिना वजह परेशान क्यों कर रहे है।
अब आप ही बताइये कि दुःख में आधी रात में हमने उनकी मदद की । उस मदद पर धन्यवाद देना तो दूर रहा ऊपर से एक लाख रुपए हडप कर धमकी और दे रहा हैं । एक तो चोरी और ऊपर से सीनाजोरी । यह कैसा जमाना आया हैं।
लेखक महोदय ने कहा बंधु ! इस दुनियां में इंसान से अधिक समझदार हमारे जानवर है । आप किसी कुते को रोटी दीजिए वह आपके प्रति वफादार रहेगा और आपको देखकर पूछ हिलाकर आपके प्रति आभार जताएगा लेकिन आज का इंसान स्वार्थी , मतलबी , खुदगर्ज हो गया हैं । वह किसी के साथ धोखाधडी कर ले तो कोई आश्चर्य की बात नही हैं । आज का इंसान सांप से भी ज्यादा खतरनाक है ।
सांप का काटा गया व डसा गया इंसान ठीक हो सकता हैं लेकिन इंसान का सताया गया व्यक्ति घुट घुट कर मरता है चूंकि उसे आर्थिक व मानसिक यातना झेलनी पडती है और जिस परेशानी से वह और उसका परिवार गुजरता है यह भुगतभोगी ही जानता है । यह एक कटु सत्य है कि सभी लोग ऐसे नही होते है लेकिन चंद लोगों की बेईमानी की वजह से सभी बदनाम होते है ।
अतः ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए। आप भी सजग रहें और दूसरो को भी सजग व सतर्क करें ।एक मछली पूरे तालाब को गंदा करती है । वक्त की यही पुकार है कि वर्तमान समय को देखते हुए किसी को भी धन उधार न दे और धन उधार देकर न केवल संबंध ही बिगडते है अपितु फिर वसूली हेतु पीछे – पीछे घूमते रहो लेकिन हासिल होने वाला कुछ भी नहीं है ।
अपने खून पसीने से कमाया गया धन कभी भी किसी को उधार न दे और अपने संबंधों को संवार कर रखें । धन उधार देकर संबंधों को खराब न करें ।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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