झूठ का सहारा न लें
सुनील कुमार माथुर
जीवन में कभी भी झूठ का सहारा न लें । समस्याओं का हल निकलवाने के लिए आप दूसरों से मदद जरूर लें , लेकिन झूठ का सहारा लेकर , किसी को नीचा दिखाकर , अपमानित करके एवं गलत राह अपना कर अपना स्वार्थ सिध्द कर लेने में कोई महानता नहीं है । महानता इसी में हैं कि हम सब मिलजुल कर एकजुटता के साथ समस्या का हल निकालें ।
यह जीवन अनमोल है । अतः कोई ऐसा कार्य न करे कि बाद में पछताना पड़े । आप तो बस नेक कार्य करते रहो एवं फल की तनिक भी इच्छा न करें । वक्त आने पर आपके कर्मों का फल ईश्वर अवश्य ही देगा आप जैसा कर्म करेगे वैसा ही फल आपको अवश्य ही मिलेगा । इसलिए हमेंशा नेक कर्म ही करे।
सभी के साथ सदा सद् व्यवहार करें । हर व्यक्ति को भरपूर सम्मान दीजिएं इसलिए नही की यह उनका अधिकार है बल्कि इसलिए कि आप मे संस्कार हैं । कुछ रिश्ते परिभाषाओं में कैद होते है पर होते बहुत ही अनमोल । इसलिए रिश्तों को बनायें रखें उन्हें कांच की तरह तड़कने न दे । टूटने न दे । रिश्तें कभी भी आसनी से नही बनते है और बनने मे वक्त लगता है लेकिन टूटने में तनिक भी देर नही लगती हैं । अत: रिश्ते की डोर को मजबूत बनायें रखें । हम सब एक – दूसरे के बिना कुछ भी नहीं हैं । यही रिश्तों कि खूबसूरती है।
अच्छे विचारों , अच्छे कार्य से , अच्छे लक्ष्यों के कारण ही तो लोगों को याद किया जाता हैं । इंसान कि संपति धन दौलत नहीं हैं अपितु उसकी संपत्ति हंसता मुस्कुराता परिवार और संतुष्ट मन ही है । भजन – कीर्तन , सत्संग करने से आंखों के आगे छाया अज्ञानता का पर्दा हट जाता हैं । बिना कर्म किये कभी भी फल नहीं मिलता है । केवल मंदिर में जाकर जल चढाने से , ज्योत करने से , माथा टेकने से या पुष्प चढाने से कुछ भी हासिल होने वाला नही हैं जब तक कि आपके मन में ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति व श्रध्दा का भाव नहीं होगा । तब तक सद् कर्म का फल नहीं मिलता।
कथा स्थल , सत्संग , भजन – कीर्तन स्थल में मन सिर्फ प्रभु भक्ति में लगा रहता है । चूंकि यह स्थल प्रभु का स्थल है । यहां बैठे हुए व्यक्ति को कभी भी क्रोध नहीं आता हैं । इसी लिए सभी को पूरे उत्साह व उमंग के साथ ईश्वर के नाम का स्मरण करते रहना चाहिए । याद रखिए जैसा मन होगा उसी तरह कि दृष्टि होगी । जो भगवान को भजता है उसे किसी भी अन्य धर्म स्थल पर जाने की जरूरत नहीं है।
हमारे बड़े बुजुर्गों व संतो का कहना है कि विनम्रता व आदर करने का गुण समाज में आपका कद ऊंचा कर देते हैं । इन्हें सदैव अपने साथ ही रखे । भावनाएं ही तो है जो दूर रहकर भी अपनों की नजदीकियों का अहसास कराती है वरना दुरी तो दोनो आंखों के बीच भी है। मनुष्य को अपनी ओर खींचने वाला यदि दुनियां में कोई असली चुम्बक है तो वह है आपका प्रेम और आपका व्यवहार । जो इंसान खुद के लिए जीता है उसका एक दिन मरण होता हैं लेकिन जो दूसरों के लिए जीता है उसका हमेंशा स्मरण होता हैं.
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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