उत्तराखण्ड समाचार

डोईवाला चीनी मिल को निजी क्षेत्र में देने पर विचार नहीं : गन्ना मंत्री

डोईवाला चीनी मिल को निजी क्षेत्र में देने पर विचार नहीं : गन्ना मंत्री… इसमें घाटे वाली मिलों का पीपीपी अथवा लीज मोड पर देने के साथ ही मिलों के आधुनिकीकरण आदि को लेकर विमर्श हुआ था, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया था।

देहरादून। गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री सौरभ बहुगुणा ने स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की डोईवाला चीनी मिल को निजी क्षेत्र में देने का कोई विचार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि घाटे में चल रही चीनी मिलों को कैसे इससे उबारा जाए, इस पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

इसी क्रम में सितारगंज चीनी मिल को लीज मोड पर दिया गया है। साल भर में इसका अनुभव क्या रहता है, इसके बाद आगे कदम उठाए जाएंगे। दरअसल, रविवार को इंटरनेट मीडिया में चीनी मिलों को लेकर पूर्व में शासन स्तर पर हुई बैठक का कार्यवृत्त को आधार बनाकर डोईवाला चीनी मिल को लेकर खबरें प्रचारित की गईं।

पिछले वर्ष 29 मई को जारी हुए इस कार्यवृत्त में डोईवाला चीनी मिल के घाटे में रहने, मिल के शहर में होने से यातायात पर असर पड़ने जैसे कारणों का हवाला देते हुए मिल की भूमि को विक्रय करने पर विचार और कार्मिकों अन्य मिलों में समायोजन व वीआरएस के संबंध में प्रस्ताव प्रस्तुत करने को कहा गया है।

बताते हैं कि डोईवाला क्षेत्र में इस कार्यवृत्त की प्रतियां बांटी गई। ऐसे में वहां ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हुई। इस बारे में पूछे जाने पर गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि सरकार मंथन कर रही है कि घाटे में चल रही चीनी मिलों को कैसे इससे उबारा जाए। इसी क्रम में पूर्व में बैठक हुई थी, जिसमें प्रारंभिक तौर पर चर्चा हुई।

इसमें घाटे वाली मिलों का पीपीपी अथवा लीज मोड पर देने के साथ ही मिलों के आधुनिकीकरण आदि को लेकर विमर्श हुआ था, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया था। उन्होंने कहा कि डोईवाला चीनी मिल को न तो निजी क्षेत्र में देने का कोई विचार है और न इसकी भूमि को बेचने का कोई निर्णय लिया गया है।

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डोईवाला चीनी मिल को निजी क्षेत्र में देने पर विचार नहीं : गन्ना मंत्री... इसमें घाटे वाली मिलों का पीपीपी अथवा लीज मोड पर देने के साथ ही मिलों के आधुनिकीकरण आदि को लेकर विमर्श हुआ था, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया था।

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