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आपके विचार

किसी को इतनी छूट न दें कि उसके जो मन में जो आए, वो करे

किसी को इतनी छूट न दें कि उसके जो मन में जो आए, जितनी मजाक सहन करने की शक्ति हो, उतना ही मजाक सामने वाले व्यक्ति से करें। क्योंकि अगर आप के अंदर सहनशक्ति का अभाव होगा तो …नोएडा (उ.प्र.) से स्नेहा सिंह की कलम से…

रोजाना जीवन में हमारा अनेक लोगों से मिलना-जुलना होता है। इनमें से तमाम लोग ऐसे भी होते हैं, जिनसे हमारी रोजाना मुलाकात होती है। समझ लीजिए कि आप कहीं नौकरी करती हैं, तो वहां साथ काम करने वाले लोगों से आप की रोजाना मुलाकात होती है। जिनके साथ रोजाना काम करना हो, उनसे फार्मल संबंध रखना मुश्किल होता है। जिसके साथ 8 से 10 घंटे काम करना हो, उनके साथ मित्रता भरा व्यवहार हो जाना सहज बात है। इसमें कोई समस्या भी नहीं है। आइडियली ऐसा होना भी चाहिए।

जिनके साथ काम करना हो, उनके साथ मित्रता भरा व्यवहार काम को आसान कर देता है। बाकी कोई कम बोलने वाला हुआ, एरोगंट हुआ तो इस तरह का व्यक्ति तो कहीं भी, किसी भी ग्रुप में अकेलापन महसूस करेगा। अकेले पड़ने पर शुरू में लोग अपने ग्रुप में जोड़ने की कोशिश करेंगे, पर जब उन्हें लगेगा कि यह किसी के साथ नहीं मिल सकती, तब सभी धीरे-धीरे उससे डिस्टेंस बनाने लगेंगे। लेकिन अगर कोई मिलनसार स्वभाव वाला हुआ तब तो कोई सवाल ही नहीं है।

सब से बड़ी बात यह है कि मिलनसार स्वभाव वाले के साथ कब किस के साथ कैसा व्यवहार किया जाए, किस के साथ कितनी बात की जाए, कैसी बात की जाए, इस बात की जानकारी हर महिला को होनी चाहिए। सामने वाला व्यक्ति आप के साथ कैसा व्यवहार कर रहा है, इसका आधार आप ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया है, इसके ऊपर होता है। आप कह सकती हैं कि वाईसेवर्सा… आप का व्यवहार सामने वाले व्यक्ति के लिए आप के साथ कैसा व्यवहार किया जाए, इसके लिए एक निश्चित सीमा रेखा बनाता है।

स्त्रियों में एक सब से बड़ी समस्या यह होती है कि वे बहुत ही भावुक होती हैं। बहरहाल, आज की महिलाएं समझदार हो गई हैं कि गलत जगह इमोशंस इन्वेस्ट करने में मजा नहीं है। अगर वे हर जगह अपना प्यार छलकाएंगी तो तकलीफ होगी ही। पर एक बात यह भी है कि हर किसी का समझदारी का लेवल अलग होता है। इसलिए हर जगह लगाव को इन्वेस्ट करने के पहले गहराई से सोचना-विचारना चाहिए। खैर, भावुक होने की वजह से स्त्रियां हर चीज को मार्क करती हैं।

वे जितनी सहजता से मजाक कर सकती हैं, उतनी सहजता से मजाक को स्वीकार नहीं कर पातीं। वे भले ही कितना भी दिखावा करें कि मजाक सहन करने में एक नंबर हैं, पर उनकी एक निश्चित लिमिट होती है। उस निश्चित लिमिट से जरा भी आगे व्यवहार हुआ नहीं कि वे दुखी हो जाती हैं। इसलिए एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि आप के अंदर जितनी मजाक सहन करने की शक्ति हो, उतना ही मजाक सामने वाले व्यक्ति से करें। क्योंकि अगर आप के अंदर सहनशक्ति का अभाव होगा तो आप आसानी से सिमने वाले व्यक्ति के मजाक को सहन नहीं कर सकेंगी और जल्दी से दुखी हो जाएंगी।

गरिमा बनाए रखें

अपने आसपास के लोगों से बातचीत करने में गरिमा बनाए रखें। आपने जो सीमारेखा तय कर रखी है, सामने वाला व्यक्ति उसी के आधार पर चलेगा। दोस्तों के साथ बातचीत में थोड़ी छूट जरूर चलती है, पर सामने वाला व्यक्ति बारबार गलत तरीके से व्यवहार कर रहा हो तो उसे तुरंत टोंक देना चाहिए। तमाम मामलों में ऐसा होता है कि महिलाएं सामने वाले व्यक्ति के बोलने के ढंग से असहजता महसूस करती हैं, पर यह बात वह सामने वाले व्यक्ति से कह नहीं पातीं। इसके पीछे वजह यह होती है कि वे सामने वाले व्यक्ति को दुखी नहीं करना चाहतीं। दूसरा आशय यह होता है कि सामने वाला व्यक्ति उम्र या ओहदे में बड़ा हुआ तो वह हिचकती है।



उसके साथ गलत टोन में बात हो रही है, यह जानते हुए भी किसी कारणवश वह यह कहने से डरती है। यही डर उसे असहजता में ले जाता है। क्योंकि सामने वाला व्यक्ति अगर अमुक छूट लेकर बात करने लगे और स्त्री प्रतिकार न करे तो सामने वाले व्यक्ति को लगने लगेगा कि ऐसी बातें करने में उसे कोई तकलीफ नहीं है, इसलिए वह सीमा लांघ कर अमुक टोन में बातें करने लगता है। इसलिए अगर आप को किसी का बात करने का अंदाज या टोन उचित न लगता हो तो आप उससे कह कर या अपने व्यवहार से यह जता दें कि आप उसकी बातों से असहजता का अनुभव कर रही हैं। आप जताएंगी तभी सामने वाले व्यक्ति को पता चलेगा।



अपना सम्मान बनाए रखने की जिम्मेवारी आप की है

वैसे तो किसी एकदम अंजान से हम सभी झट से बात नहीं करते। पर घर में बाहर जिसके साथ अधिक समय गुजारना होता है, तो उसके साथ बात करने में एक अदृश्य लिमिट बना लेना चाहिए। आप अपने स्वभाव के अनुसार हर व्यक्ति से बातचीत की एक लिमिट सेट कर सकती हैं। इसका कंट्रोल आप के हाथ में है। किस तरह? तो इसका जवाब यह है कि आप सामने वाले व्यक्ति से इस तरह बातचीत और व्यवहार करें कि वह अपने आप समझ जाए कि आप से किस हद तक बात की जाए कि आप सहज रहेंगी।



जब आप खुद ही वाणी या व्यवहार में अधिक छूटछाट लेंगी तो सामने वाला व्यक्ति भी उसी आधार पर आप के साथ छूटछाट लेने लगेगा। अगर आप को इस तरह की छूटछाट समय के साथ असहज लगती है तो आप को पहले से ही अमुक तरह का व्यवहार करना जरूरी है। यहां बिलकुल अकड़ कर रहने की बात नहीं है। पर कभी मौन को असरदार बनाने की जरूरत है। नो डाउट, जिसके साथ आप को बहुत अच्छा लगता है, उसके साथ दिल खोल कर बातें और व्यवहार कर सकती हैं।



जो आप के इतना नजदीक नहीं है, ऐसे लोगों के साथ एक लिमिट में व्यवहार कर के आगे चल कर आप अपमान के लगाव के अनुभव से बच सकती है। कहा जाता है कि Not everyone is our friend at our workplace। यह एकदम सच बात है कि हमारे काम करने वाली जगह हर व्यक्ति हमारा हितेच्छु नहीं होता। कोई ऐसा भी होता है, जो मित्रता के रूप में हितशत्रु होता है। इसलिए चेत कर चलें। आप की वाणी से किसी का मान-सम्मान न कम हो, उसी तरह किसी की वाणी से आप को समस्या न हो, इस बात का ध्यान रखें।



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