दीपावली व आशा के दीप
दीपावली व आशा के दीप… आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान अपने आपकों ही भूल गया हैं तब हम परिवार, समाज व राष्ट्र के कल्याण की उससे क्या उम्मीद करें हमें अपने समाज व परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए अपने स्वास्थ्य पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए तभी हम तनाव मुक्त जीवन व्यतीत कर सकेंगे। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
यह जीवन परमात्मा ने हमें उपहार स्वरूप दिया है जिसे हमें नेक कार्य में लगाना हैं और अपना लोक व परलोक दोनों सुधारने हैं। जीवन में लोगों की अनेक आशाएं हैं और आशा कभी भी इंसान को नहीं छोडती हैं बल्कि इंसान ही आशाओं को छोड देता हैं जबकि होना यह चाहिए कि हर इंसान को आशा के दीप जलाने चाहिए। जीवन में उतार चढाव आते ही रहते हैं लेकिन कभी भी उनसे हताश निराश नहीं होना चाहिए। अपितु हर परिस्थिति में जो समान बना रहता हैं, वहीं आगे बढ पाता हैं।
अधिवक्ता अरूणा जी को संगीत, गायन, रंगोली, मेहन्दी, पेंटिंग, स्वादिष्ट व्यंजन बनाने का इतना शौक हैं कि उनके कार्यो की सराहना करते हुए लोगों ने यहां तक कह दिया कि या तो परमात्मा इनके साथ हर वक्त रहते हैं या फिर इन्होंने परमात्मा को इतना मना लिया और कह दिया कि हम जो भी कार्य करें वह कार्य सर्वश्रेष्ठ हो। कहने का तात्पर्य यह है कि कोई भी कार्य करे तब पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करें, सफलता अवश्य ही मिलेगी।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान अपने आपकों ही भूल गया हैं तब हम परिवार, समाज व राष्ट्र के कल्याण की उससे क्या उम्मीद करें हमें अपने समाज व परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए अपने स्वास्थ्य पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए तभी हम तनाव मुक्त जीवन व्यतीत कर सकेंगे। हमें हमेंशा आशावादी रहना है और सकारात्मक सोच के साथ ही आगे बढते रहना हैं। आशावादी होंगे तभी तो आशा के दीप जला पायेगें.