धर्म और अधर्म
धर्म और अधर्म, जीवन में संगत का बडा ही महत्व हैं। इसलिए सदैव अच्छी व सकारात्मक सोच रखें व जरूरतमंदों की सेवा करें। जीवन को प्रभु की भक्ति में लगा दीजिए. #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
कहते है की धर्म और अधर्म दोनों जुडवा भाई हैं और हर जगह साथ साथ रहते हैं। धर्म हमें सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता हैं, वहीं दूसरी ओर अधर्म व्यक्ति को पतन के मार्ग की ओर ले जाता हैं।
तमाम प्रकार के अनैतिक कार्य अधर्म का ही परिणाम हैं जबकि धर्म हमें दया, करूणा, ममता, वात्सल्य, संयम, सहनशीलता व नम्रता एवं विनम्रता का पाठ पढाता हैं।
इसलिए व्यक्ति को सदैव धर्म के मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सार्थक करें। अधर्म के मार्ग पर चलने वाला कभी भी जीवन में प्रगति नहीं कर सकता।
जीवन में संगत का बडा ही महत्व हैं। इसलिए सदैव अच्छी व सकारात्मक सोच रखें व जरूरतमंदों की सेवा करें। जीवन को प्रभु की भक्ति में लगा दीजिए और अपने आपकों प्रभु के चरणों में समर्पित कर दीजिए।
माता पिता की सेवा करें। कभी भी किसी का दिल न दुखाए। दान पुण्य व धर्म कर्म करे।जीवन को नेक कार्यों में लगायें। अनैतिक, समाज एवं राष्ट् विरोधी कृत्यों से दूर रहें।
किसी को बदलने का प्रयास न करे, अपितु आप अपने जीवन को सुधार ले फिर समाज व राष्ट् अपने आप सुधर जायेगा।
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