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धामी सरकार : एक साल का पूरा रिपोर्ट कार्ड

धामी सरकार : एक साल का पूरा रिपोर्ट कार्ड… यही कारण भी रहा कि केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें फिर से अवसर दिया और मुख्यमंत्री धामी ने इसे न केवल चुनौती के रूप में लिया, बल्कि एक के बाद…

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल गुरुवार को पूर्ण करने जा रही है। इस कालखंड में मुख्यमंत्री धामी ने बड़े और दूरगामी निर्णय लेकर लंबी लकीर खींचने का सार्थक प्रयास किया है। साथ ही यह संदेश देने का प्रयास रहा कि सरकार जो कहती है, उसे धरातल पर उतारती है।

फिर चाहे राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए शुरू की गई कसरत हो अथवा जबरन मतांतरण पर रोक के लिए कानून में सख्त बदलाव या फिर भर्ती परीक्षाओं की शुचिता के लिए सख्त नकलरोधी कानून। ये ऐसे निर्णय हैं, जिनके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। यही नहीं, राज्याधीन सेवाओं में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण, राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के लिए सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण जैसे कई बड़े निर्णय भी सरकार ने लिए हैं।

मुख्यमंत्री धामी को पहले कार्यकाल में भले ही बेहद कम समय मिला हो, लेकिन तब भी उनका प्रदर्शन बेहतर रहा था। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें चेहरे के तौर पर पेश किया। यद्यपि, धामी स्वयं अपनी सीट गंवा बैठे, लेकिन पार्टी लगातार दूसरी बार दो-तिहाई से ज्यादा बहुमत हासिल कर सत्तारूढ़ होने में सफल रही। यही कारण भी रहा कि केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें फिर से अवसर दिया और मुख्यमंत्री धामी ने इसे न केवल चुनौती के रूप में लिया, बल्कि एक के बाद एक बड़े निर्णय लेकर अपने चयन को सही साबित करने का प्रयास किया।

यद्यपि, पिछले लगभग आठ माह के दौरान भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी के मामले सामने अवश्य आए, लेकिन सरकार ने बिना किसी कालखंड को देखे त्वरित निर्णय लेकर संदेश दिया कि वह युवाओं के हितों पर किसी तरह का कुठाराघात नहीं होने देगी। एक साल के कार्यकाल में अभी तक धामी सरकार ने सभी वर्गों व क्षेत्रों को ध्यान में रखकर निर्णय लिए हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी।

दोबारा सत्तासीन होने पर धामी सरकार की पहली कैबिनेट में राज्य में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कमेटी के गठन का निर्णय हुआ। कमेटी ने राज्य के सभी वर्गों से आनलाइन, आफलाइन समेत अन्य माध्यमों से सुझाव लिए हैं। तीन लाख से ज्यादा सुझाव कमेटी को मिले हैं, जिनका परीक्षण चल रहा है। इसी के चलते कमेटी का कार्यकाल छह माह बढ़ाया गया। उम्मीद है कि मई-जून तक कमेटी ड्राफ्ट को सरकार को सौंप देगी।

यही नहीं, राज्य से प्रेरणा लेकर गुजरात ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने के दृष्टिगत कमेटी का गठन किया है। बदली परिस्थितियों में देवभूमि में जबरन मतांतरण पर अंकुश लगाने को धामी सरकार ने धर्म स्वतंत्रता कानून में संशोधन कर इसे सख्त बनाया है। इसमें जबरन मतांतरण के मामलों में 10 वर्ष की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माने का प्रविधान किया गया है। साथ ही इसे गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है।



इसके पीछे सरकार की मंशा यही है कि बाहर से यहां आकर अवांछनीय गतिविधियों में संलिप्त तत्वों पर प्रभावी ढंग से अंकुश लग सके। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण से शुरू हुआ भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी का मामला पिछले कुछ माह से सुर्खियों में है। एक के बाद एक परीक्षाओं में धांधली की शिकायतें आई हैं। यद्यपि, ये मामले सामने आते ही सरकार ने इनकी जांच को कदम उठाए, अब तक कई लोग जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं।



साथ ही भविष्य में भर्ती परीक्षाओं में युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो, इसके लिए सरकार सख्त नकलरोधी कानून लेकर आई है। इसे देश का सबसे कड़ा नकलरोधी कानून बताया जा रहा है। इसमें 10 करोड़ तक का जुर्माना व उम्र कैद की की सजा के साथ ही कई प्रविधान किए गए हैं। यह किसी से छिपा नहीं है कि राज्य निर्माण में यहां की मातृशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्य गठन के बाद भी मातृशक्ति राज्य के विकास में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही है।



विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में तो महिलाओं को वहां के विकास की रीढ़ कहा जाता है। इस सबको देखते हुए धामी सरकार ने राज्याधीन सेवाओं में यहां की महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था को फिर लागू किया है। अब इसे कानूनी दायरे में लाया गया है। भाजपा सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस की नीति अपनाई है। मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर 1064 एप लांच किया गया है।



इसके माध्यम से आई शिकायतों पर कार्रवाई की जा रही है। अब तक आय से अधिक संपत्ति, वित्तीय अनियमितता समेत अन्य गड़बड़ी की शिकायतों पर चार नौकरशाह निलंबित किए गए, जबकि आठ जेल में हैं। उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था को भी धामी सरकार ने फिर से लागू किया है। इसे लेकर लंबे समय से मांग की जा रही थी, जिसे सरकार ने सहर्ष स्वीकारा है।



ये भी लिए गए निर्णय

  • केदारनाथ व बदरीनाथ की तर्ज पर मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत कुमाऊं के पौराणिक व प्राचीन मंदिरों का विकास।
  • गढ़वाल मंडल मुख्यालय पौड़ी को उसके अतीत के अनुरूप विकसित करने के साथ ही वहां मंडलीय अधिकारियों के नियमित बैठने की व्यवस्था।
  • राज्य के सकल घरेलू उत्पाद को पांच साल में दोगुना करने के मद्देनजर वैश्विक एजेंसी की मदद।
  • प्राथमिक क्षेत्र में कृषि व औद्यानिकी के लिए ठीकठाक बजट का प्रविधान।
  • मिशन मायापुरी के तहत हरिद्वार को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी व आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को बुनियादी ढांचे का निर्माण।
  • वृद्धावस्था, निराश्रित विधवा व दिव्यांग पेंशन में बढ़ोत्तरी, पति-पत्नी दोनों को पेंशन का लाभ देने का निर्णय।
  • कमजोर वर्ग के परिवारों को एक साल में तीन रसोई गैस सिलिंडर मुफत देने की व्यवस्था।
  • महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष कोष गठित करने का निर्णय।

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