
सत्येन्द्र कुमार पाठक
देवर्षि नारद, ज्ञान के सागर,
संगीत, पत्रकारिता के आदि-आगर।
ब्रह्मा के मानस पुत्र महान,
वैष्णव परंपरा में ऋषिराज का सम्मान।
वीणा ‘महाती’ धरे कर में,
मधुर तानों से भर दें हर क्षण में।
ब्रह्मलोक से वैकुंठ तक गान,
उनका है दिव्य और विराट स्थान।
हिमवत और जाम्बवान हैं सगे,
सूचनाओं के वाहक, धर्म-ज्ञान के पगे।
नारद पुराण, स्मृति महान,
न्याय, धर्म, नीति का हैं वे प्राण।
भागवत की कथा में स्वर उनका,
कर्मों का लेखा, भावों का गंगा।
संतों की सेवा, आचरण की शक्ति,
उनसे मिला आध्यात्मिक भक्ति।
ब्रह्मांड का पहला दूत कहाया,
सनातन में सर्वोच्च स्थान पाया।
बौद्ध, जैन भी करें नमस्कार,
ज्ञानसिंधु नारद हैं सबसे अपार।
शिव, विष्णु, देवी पुराणों में गाथा,
उनकी वाणी बने धर्म की रेखा।
श्रद्धा, भक्ति, ज्ञान का मेल,
हर एक कथा में सच्चाई का खेल।
कर्नाटक के चिगाटेरी में स्मरण,
गीता वाटिका, गोरखपुर का वंदन।
हरिदास बन लिया पुनः अवतार,
पुरंदर दास में फिर उभरे नारद सार।
देव-मानवों के सेतु महान,
ज्ञान, संगीत, भक्ति के पहचान।
उनकी कथाएँ धर्म का पथ बतातीं,
माया में ईश्वर की ज्योति दिखातीं।
त्रिकालदर्शी, दिव्य दृष्टा महान,
युगों तक करें मानव कल्याण।
नारद मुनि का तेज अमिट,
भारत की संस्कृति में सदा समाहित।