साहित्य लहर
दहेज प्रथा
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
सामाजिक बुराई
दहेज की परछाई
कोई नहीं करता परहेज
सबको चाहिए दहेज
इसके बिना शादियां सूनी
दहेज बेटियों का है खूनी
बेटियों की सुनो व्यथा-कथा
बंद करो दहेज प्रथा
रे मानव ! कर न काला व्यापार
होता बेटियों पर अत्याचार
दौलत के तराजू पर न तोल
रिश्ते होते हैं बड़े अनमोल
बेटे- बेटियों का व्यापार
करो ऐसी प्रथा का बहिष्कार
छीनो न किसी का अधिकार
बेटे -बेटियों को बसाने दो मन का संसार
नई सोच का करो संचार
रे साथी ! थोड़ा करो विचार
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »मुकेश कुमार ऋषि वर्मालेखक एवं कविAddress »संचालक, ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय | ग्राम रिहावली, डाकघर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, (उत्तर प्रदेश) | मो : 9627912535Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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