गर्भवती महिलाओं की मातृत्व सुरक्षा से संबंधित विचार
ओम प्रकाश उनियाल
अक्सर देखा गया है कि हमारे देश में महिलाओं के गर्भावस्था से लेकर प्रसव होने के बाद तक उनके स्वास्थ्य के प्रति अधिक ध्यान नहीं दिया जाता। परिवार के अलावा महिलाएं स्वयं भी लापरवाह बनी रहती हैं। जो जागरूक रहती हैं वे इस दौर में और बाद में भी स्वस्थ एवं सुरक्षित रहती हैं। जो लापरवाही बरतते हैं उनके सामने कई परेशानियां खड़ी हो जाती हैं।
यहां तक कि कई महिलाएं अपनी जान तक गंवा बैठती हैं। हालांकि, लापरवाही के पीछे अन्य कारण भी होते हैं, जैसे गरीबी, कुपोषण, अशिक्षा, अंधविश्वास, अज्ञानता, झिझक, त्वरित स्वास्थ्य सेवाओं की उपलबधता न होना आदि।
सरकार द्वारा हर स्तर पर समय-समय पर महिलाओं के लिए गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम चलाए तो जाते हैं लेकिन आज भी अनेकों क्षेत्र ऐसे हैं जहां सुरक्षित प्रसव कराने की व्यवस्थाएं नहीं हैं।
गर्भवती महिलाओं को चाहिए की इस अवस्था में भोजन जो भी हो पौष्टिकतापूर्ण हो, टीकाकरण नियमित कराया जाए, अपनी साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाए एवं तनावमुक्त रहें। गर्भवती महिलाओं की मातृत्व सुरक्षा के लिए 11 अप्रैल को यह दिवस मनाया जाता है।
व्हाइट रिबन एलांयस इंडिया की पहल पर कस्तूरबा गांधी के जन्म दिवस पर यह दिवस वर्ष 2003 से मनाया जा रहा है। ताकि प्रसव से पहले व बाद तक महिलाओं को अधिक से अधिक गुणवतापूर्वक स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करायी जा सके।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »ओम प्रकाश उनियाललेखक एवं स्वतंत्र पत्रकारAddress »कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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