बाल कहानी : ईमानदारी का परिचय

प्रधानाचार्य जी ने फोन कर छात्रा को पर्स के बारे में अवगत कराया। परीक्षा के बाद छात्रा सपना स्कूल पहुंची व प्रधानाचार्य जी ने बच्चों व स्कूल के स्टाफ के समक्ष सपना को उसका पर्स सुपुर्द किया। अपना पर्स व सामान सुरक्षित पाकर छात्रा सपना ने बच्चों की ईमानदारी देखकर बेहद खुश हुई. #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
रविवार को प्रतियोगी परीक्षा देने के लिए विधार्थियों की भीड़ सूर्यनगरी जोधपुर में शनिवार को ही पहुंचना शुरू हो गई थी। सभी होटले व धर्मशालाएं विधार्थियों से भर चुकी थी। बच्चों ने फुटपाथों , पार्कों , बंद दुकानों के बाहर सोकर रात गुजारी। वही सपना और कल्पना नाम की दो छात्राओं ने एक निर्माणाधीन इमारत में रात गुजारी।
रविवार को वे परीक्षा के लिए रवाना हुई तब सपना जल्दबाजी में अपना पर्स वहां भूल गयी। स्कूल जाते वक्त चेतन की नजर निर्माणाधीन इमारत की चबूतरी पर पडे पर्स पर पडी। चेतन ने अपने साथियों सुनील , शशिधर , गोपाल व चांद मोहम्मद को वह पर्स दिखाया। उन्होंने तत्काल वह पर्स उठा लिया व इधर उधर देखा तो उन्हें कोई भी दिखाई नहीं दिया।
स्कूल पहुंच कर उन्होंने वह पर्स स्कूल के प्रधानाचार्य जी को सौंप दिया व सारी बात बताई। प्रधानाचार्य ने पर्स को खोलकर देखा तो उसमें चांदी की बिच्छियां , पायल , सोने की बाली , कानों के झुमके , सोने की अंगूठी , पेन कार्ड , आधार कार्ड , एटीएम कार्ड , व दो हजार रूपए नकद थे।
प्रधानाचार्य जी ने फोन कर छात्रा को पर्स के बारे में अवगत कराया। परीक्षा के बाद छात्रा सपना स्कूल पहुंची व प्रधानाचार्य जी ने बच्चों व स्कूल के स्टाफ के समक्ष सपना को उसका पर्स सुपुर्द किया। अपना पर्स व सामान सुरक्षित पाकर छात्रा सपना ने बच्चों की ईमानदारी देखकर बेहद खुश हुई व उनकी ईमानदारी पर नकद पुरस्कार देना चाहा तो बच्चो ने लेने से इन्कार कर दिया और कहा कि यह तो हमारा फर्ज था।
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