साहित्य लहर
बाल कविता : मेरा खेत
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
प्यारा- न्यारा मेरा खेत,
हरा भरा सुंदर खेत ।
उसमें फसलें लहरातीं,
मेरे मन को बहुत लुभातीं ।
पीली सरसों- महके सरसों,
फूले अरहर- झूमे अरहर ।
चहुं ओर है छाई बहार ।।
बेहद लंबा हुआ बाजरा,
उग आये मूली- गाजर ।
लाल हुआ गोल टमाटर ।।
प्यारा- न्यारा मेरा खेत,
हरा भरा सुंदर खेत ।
किसी से कम न गोभीआलू,
बहुत रुलाते प्याज- रतालू ।
कलुआ बैंगन बन बैठा राजा,
कद्दू का पीकर हो गया मोटा ।
गन्ना कभी नहीं देता टोटा ।।
बहुत महकता धनिया,
भाव खा रही मटर ।
सुध-बुध हो गई ज्वार ।।
सबको उगाता मेरा खेत ।
हरा भरा सुंदर खेत ।।
लेखक परिचय
Name »मुकेश कुमार ऋषि वर्मालेखक एवं कविAddress »ग्राम रिहावली, डाकघर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, (उत्तर प्रदेश) मो.: 9876777233Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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