
राज शेखर भट्ट
देहरादून। जैसा कि सभी को पता है कि सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के विज्ञापन के मामले में मनमानी का रवैया सामने आया है। जिसके लिए कई शिकायतें और आरटीआई लगाई जा चुकी हैं। जवाब से ही पता चलेगा कि कौन सिस्टम से चल रहा है और कौन नहीं। बहरहाल, अब बात करते हैं ‘‘मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल’’ की, जो देवभूमि उत्तराखण्ड की सभी समस्याओं को दूर कर रहा है। क्योंकि सरकारी विज्ञापनों में यही बताया जा रहा है। लेकिन देखना अब यह है कि हमारी समस्या को कितना डीपली लिया जा रहा है। अब मामला मुख्यमंत्री महोदय के विभाग का हो, एल-1 अधिकारी सूचना विभाग देहरादून का हो और एल-2 अधिकारी सूचना एवं लोक संपर्क विभाग, मुख्य निदेशालय से हो तो समाधान मिलने में कितना समय लगता है, यह भी समय ही बतायेगा।
जाहिर है कि पिछले माह 22 अगस्त से सूचना विभाग की विज्ञापन नीति की पारदर्शिता और पक्षपात के संबंध में ही शिकायतें की जा रही है। इसी संबंध में सूचना अधिकार अधिनियम का प्रयोग किया जा रहा है और इसी संबंध में समाचार प्रकाशित किये जा रहे हैं। सवालों के जवाब भी कछुए की चाल में मिल रहे हैं। दरअसल, बात केवल इतनी है कि मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल में अब तक दो शिकायतें/प्रार्थना पत्र दिये गये हैं। पहली शिकायत/प्रार्थना पत्र 26 अगस्त 2025 को भेजा गया है, जिसका विषय ‘‘सूचना विभाग द्वारा पत्रकारों से विज्ञापन के लिए किये जा रहे सौतेले व्यवहार’’ से संबंधित है।
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अब बात करें इस शिकायत की स्थिति की तो सबसे पहले यह शिकायत एल-1 अधिकारी अर्थात सूचना अधिकारी श्री बद्री चन्द जी के पास गयी। उन्होंने मुख्यमंत्री पोर्टल पर यह बताया कि यह मामला उनका नहीं है, इसे एल-2 अधिकारी श्री कलम सिंह चौहान जी को अग्रेसित किया जा रहा है। 27 अगस्त से यह मामला कलम सिंह अधिकारी जी के पास ही है। आगे क्या होगा और कब तक होगा, इसका उत्तर तो कलम सिंह चौहान जी ही दे सकते हैं। अतः महोदय से विनम्र निवेदन है कि अपनी कलम चलायें और उक्त शिकायत का समाधान करें।
मुख्यमंत्री पोर्टल पर उक्त शिकायत की वर्तमान स्थिति-
अब सामने आता है दूसरा मामला, दूसरी शिकायत, दूसरा प्रार्थना पत्र। यह शिकायत मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल में 29 अगस्त 2025 को सबमिट की गयी थी। इस शिकायत में भी उपरोक्त प्रक्रिया के तहत ही कार्य किया जा रहा है और वर्तमान में यह शिकायत भी एल-2 अधिकारी श्री कलम सिंह चौहान जी के पास ही है। जैसा कि सभी को पता है कि पोर्टल पर विज्ञापन नीति में पारदर्शिता के संबंध में ‘‘सण्डे पोस्ट’’ साप्ताहिक समाचार पत्र की बात बताई गयी थी। इस शिकायत में भी यही पूछा गया है कि उक्त साप्ताहिक समाचार पत्र को किन नियमों अथवा मुख्यमंत्री के किन आदेशों के बाद 10 से 20 लाख तक के विज्ञापन बार-बार दिये गये हैं। किस समाचार पत्र को क्या मिला, कितना मिला उससे कोई परेशानी नहीं है, लेकिन कम से कम पारदर्शिता तो रखें, नियम ही बता दें।
मुख्यमंत्री पोर्टल पर उक्त शिकायत की वर्तमान स्थिति-
बहरहाल, अब इंतजार है दोनों शिकायतों के निवारण का। अभी यह पता नहीं है कि निवारण कब तक होता है और शिकायत निवारण के बाद बंद होती है या बिना निवारण के ही मामला ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाता है। कलम सिंह चौहान जी से विनम्र निवेदन है कि थोड़ा सा ध्यान हमारी शिकायत की ओर भी डाल दें। यदि हम मुख्यमंत्री पोर्टल के नियमों और निवारणों की बात करें तो कुछ लोगों के अनुसार नियम भी सही हैं और निवारण भी हो रहा है। लेकिन सच्चाई तो इन दो मामलों के निवारण होने के बाद ही सामने आयेगी। शिकायत का निवारण ही बतायेगा कि ‘‘मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल काम का है या केवल नाम का‘‘ है।
ऑनलाईन जो नियम प्राप्त हुये हैं, उसके अनुसार-
उत्तराखंड मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल (CM Helpline/CM Samadhan) में दर्ज की गई शिकायतों के निवारण की अधिकतम अवधि 30 दिन निर्धारित की गई है।
- शिकायत दर्ज होने के बाद विभागीय अधिकारी को तुरंत संज्ञान लेना होता है।
- संबंधित विभाग/जिला स्तर पर शिकायत का निस्तारण सामान्यत: 7 से 15 दिन के भीतर करने का प्रयास किया जाता है।
- अगर मामला जटिल है तो अधिकतम सीमा 30 दिन तक है।
- तय समय सीमा में निवारण न होने पर शिकायत स्वतः उच्च स्तर पर एस्केलेट हो जाती है।
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