वीडियो लाइक व क्रिप्टो पेमेंट के नाम पर हो रही ठगी
वीडियो लाइक व क्रिप्टो पेमेंट के नाम पर हो रही ठगी… जब पीड़ित आश्वस्त हो जाता है तो विश्वास जीतने के लिए संदिग्ध पांच से दस हजार का भुगतान करता है। तीसरे चरण में पीड़ित के साथ यूपीआई आईडी या क्रिप्टो वॉलेट शेयर किए जाते हैं और उनसे लाखों का निवेश करने को कहा जाता है।
देहरादून। वीडियो लाइक व क्रिप्टो पेमेंट ने नाम पर ठगी की आ रही लगातार शिकायतों के बाद एसटीएफ ने इस प्रकार की ठगी से बचने के लिए एडवाइजरी जारी की है। एसटीएफ का कहना है कि यह एक नया बढ़ता हुआ अपराध है। इसमें जहां पीड़ित न पैसे गंवाता है, बल्कि दूसरों को लुभाने के लिए उसकी डिटेल भी शेयर की जाती है।
एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने कहा कि इस प्रकार की ठगी में पीडितों से तीन चरणों में ठगी होती है। पहले चरण में रेंडम नंबर पर व्हाट्सएप व टेलीग्राम के माध्यम से संदेश भेजे जाते हैं। जहां कुछ वीडियो और यूट्यूब पसंद करने के लिए कहा जाता है। प्रत्येक के लिए 50 रुपये का भुगतान किया जाता है। इसके बाद पीड़ित को वीडियो पसंद का स्क्रीनशॉट भेजने के लिए कहा जाता है।
पेमेंट के लिए यूपीआई आईडी मांगी जाती है। शुरूआत में डेढ़ सौ रुपये से दो सौ रुपये का रुपये दिए जाते हैं। दूसरे चरण में पीड़ित को एक मैनेजर से मिलने के लिए टेलीग्राम पर आने के लिए कहा जाता है और दूसरों को समूह में शामिल करके अधिक पैसा बनाने का लालच दिया जाता है। जहां हर दो से तीन लोगों के शामिल होने के लिए निश्चित कमीशन दिया जाता है।
जब पीड़ित आश्वस्त हो जाता है तो विश्वास जीतने के लिए संदिग्ध पांच से दस हजार का भुगतान करता है। तीसरे चरण में पीड़ित के साथ यूपीआई आईडी या क्रिप्टो वॉलेट शेयर किए जाते हैं और उनसे लाखों का निवेश करने को कहा जाता है। पीड़ित को लालच दिया जाता है कि उसे राशि की निकासी के लिए न्यूनतम क्रेडिट प्वाइंट की आवश्यकता है। जिसके बाद पीड़ित लालच में आकर लाखों का भुगतान कर ठगी का शिकार हो जाता है।
बचने के लिए टिप्स
- किसी भी निवेश योजना की पेशकश करने वाले सोशल मीडिया पर किसी भी रेंडम नंबर को रिपोर्ट और ब्लॉक कर दें।
- किसी भी व्यक्ति के साथ अपने लेनदेन का इंटरनेट गतिविधि के स्क्रीनशॉट साझा न करें।
- प्रोजेक्ट मैनेजर, टीचर या ट्रेनर के साथ किसी भी निवेश घोटाले से सावधान रहें।
- इंटरनेट कॉल के आधार पर किसी भी योजना में निवेश न करें।
- हमेशा फिजिकल वेरिफिकेशन से कंपनी योजना का सत्यापन करें और अपराधियों की ओर से भेजे गए स्क्रीन शॉट पर भरोसा न करें।
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