
सुनील कुमार माथुर
जोधपुर, राजस्थान
जीवन में बदलाव जरूरी है। हमें लकीर का फकीर बनकर बैठे नहीं रहना चाहिए। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। इसलिए व्यक्ति को हर क्षण अपने आप को अपडेट करते रहना चाहिए। तभी हम समय के अनुसार अपने आप को ढाल पाएंगे। जीवन में आगे बढ़ते समय कठिनाइयों का भी सामना हमें अपनी ही सूझ-बूझ से करना होगा, क्योंकि हर जगह हमें सही राह दिखाने वाला नहीं मिल सकता है। ऐसे समय में हमें ही अपनी योग्यता और अनुभव के अनुसार समस्याओं का हल खोजना आना चाहिए। चुनौतियां हमें सदैव बेहतर इंसान बनाती हैं। इसलिए इनसे घबराना नहीं चाहिए। जीवन में अगर चुनौतियां ही नहीं आएंगी तो हम समाधान के मार्ग की ओर कैसे अग्रसर हो पाएंगे।
छोटे-छोटे बदलाव बड़े परिणाम दे सकते हैं इसलिए हमें अपने प्रयास लगातार जारी रखने चाहिए। जीवन में हम देख रहे हैं कि सुख के बाद दुख, लाभ-हानि, जीत-हार, अच्छा-बुरा, जीवन-मृत्यु यह सब चलता रहता है। अतः कभी भी किसी भी परिस्थिति क्यों न हो हमें हमेशा हर परिस्थिति में एक समान बने रहना चाहिए। समाज ने हमें समय के साथ अपनी जिम्मेदारियां भी सौंपी हैं जिन्हें हमें बखूबी तरीके से निभाना है। असली नायक वे लोग हैं जो अपने परिवार, समाज व राष्ट्र के लिए निस्वार्थ भाव से सेवा का कार्य करते हैं।
अभिमानी को वक्त ही समझा सकता है
आज के दौर में हर कोई अपने घमंड और अहंकार में जी रहा है। हर कोई अपने आप को सहन सा समझ रहा है। उनसे बात करो तो भी ढंग से वे बात नहीं करते हैं। क्रोध और गुस्सा तो हर वक्त उनके नाक पर ही बैठा रहता है। किसी ज्ञानी जन ने ठीक ही कहा है कि ज्ञानी और अज्ञानी को तो हम आसानी से समझा सकते हैं लेकिन अभिमानी व्यक्ति को कोई भी आसानी से नहीं समझा सकता बल्कि वक्त ही अभिमानी व्यक्ति को समझा सकता है। इसलिए जीवन में कभी भी अहंकार न करें और सभी के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करें। इसी में सभी की भलाई है।
जिंदगी को समझना मुश्किल है
जिंदगी को समझना भी कोई आसान बात नहीं है। यह भी हर वक्त अपने आप में उलझी ही रहती है। जो जिंदगी की उलझन से आसानी से निकल जाता है, वहीं ज्ञानी कहलाता है। चूंकि मन की लिखूं तो शब्द रूठ जाते हैं। सच लिखूं तो अपने रूठ जाते हैं अर्थात् जिंदगी को समझना भी बड़ा ही कठिन है। कहते हैं कि कोई अपनों की खातिर अपने सपनों से दूर हो जाते हैं और कोई अपने सपनों की खातिर अपनों से दूर हो जाते हैं। सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन सपने ऐसे देखे कि जिन्हें पूरा करने की आप में काबिलियत होनी चाहिए।
झटके
जब हमें यह मानव जीवन मिला है तो फिर इसे सद्कर्मों में लगाकर पुण्य लाभ कमाइए अन्यथा जीवन भर नाना प्रकार के झटके सहते रहना पड़ेगा। चूंकि परमात्मा भी उन्हीं की मदद करता है जो अपनी मदद आप करना जानता हो। लटके-झटकों की इस दुनिया ने इंसान को कोल्हू का बैल बना दिया है। हमारे बड़े-बुजुर्ग बड़े ही परिश्रमी थे। उनके पास अनुभव का अथाह भंडार था। शारीरिक श्रम के साथ ही उनके जीवन की हर रोज शुरुआत होती थी। यही वजह है कि वे कभी भी जीवन में झटके नहीं खाते थे। चूंकि संयुक्त परिवार की एकजुटता ही उनका संबल था।
लेकिन आज संयुक्त परिवार बिखर रहे हैं। एकांगी परिवारों के चलते परिवार की एकजुटता खत्म हो गई। शारीरिक श्रम से हम कतरा रहे हैं। आराम की जिंदगी जी रहे हैं। भला ऐसे वातावरण में हमारे पास कहां से अनुभव आ पाएगा। हम तो अपनी ही हेकड़ी में मरे जा रहे हैं। कहा जाता है कि स्पीड ब्रेकर बड़ा हो, आपके वाहन की गति धीमी हो उस वक्त झटका नहीं लगता है। ठीक उसी प्रकार मुसीबत की घड़ी में आपका मन शांत हो और आप संकट की घड़ी में शांति से विचार करें और फिर सकारात्मक सोच के साथ कार्य करें तो जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार के झटके नहीं लगेंगे।
सर्वश्रेष्ठ शिक्षक
समय और जिंदगी यह दुनिया के दो सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं। जिंदगी हमें समय का सदुपयोग करना सिखाती है वहीं दूसरी ओर समय जिंदगी की कीमत सिखाता है। इसलिए कभी भी समय बर्बाद न करें और समय का पूरा-पूरा सदुपयोग कीजिए। चूंकि जिसने भी समय का दुरुपयोग किया उसे समय ने समय आने पर ऐसा सबक सिखाया कि वह कहीं का भी नहीं रहा। समय अनमोल है जिसे कभी भी रोका नहीं जा सकता और न ही धन देकर इसे खरीदा जा सकता है। अतः जितना हो सके समय का उतना ही सदुपयोग करें, क्योंकि गया समय कभी भी वापस नहीं लौटता है।