तेंदुए के हमले में कारपेंटर घायल
तेंदुए के हमले में कारपेंटर घायल, जिला मुख्यालय के खत्याड़ी, ढूंगाधारा, थपलिया, नरसिंहबाड़ी, लमगड़ा के सिरौनिया और आसपास के क्षेत्रों में तेंदुए का आतंक लंबे समय से बरकरार है। दो माह पूर्व ही नगर के धारानौला में एक साथ दो तेंदुए चहलकदमी करते हुए सीसीटीवी में कैद हुए थे।
अल्मोड़ा। जिले में तेंदुए के हमले की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। नगर से सटे इलाके में निर्माणाधीन भवन में छुपे तेंदुए ने दिनदहाड़े कारपेंटर पर हमला कर दिया। कई मिनट तक चले आपसी संघर्ष के बीच संयोग से उसकी जान बच गई लेकिन इस घटना में वह गंभीर रूप से घायल हो गया। बेस अस्पताल में उसकी गर्दन, कान, सिर सहित शरीर के अन्य हिस्सों में 25 टांके लगे। चिकित्सकों के मुताबिक उसकी हालत खतरे से बाहर है। वहीं इस घटना से पूरे क्षेत्र में दहशत है।
नगर से सटे ब्राइट एंड काॅर्नर स्थित रामकृष्ण कुटीर में भवन निर्माण का कार्य चल रहा है, जिसके ऊपरी हिस्से में बने एक कमरे में मजदूरों का डेरा है। रविवार सुबह 10 बजे के करीब कारपेंटर का कार्य करने वाला नियाजगंज निवासी सुरेंद्र सिंह (55) काम के लिए यहां पहुंचा और सामान लेने नीचे कमरे में गया।
कमरे में घुसा तो उसे दूसरे कमरे से किसी जानवर के गुर्राने की आवाज सुनाई दी और वह डर के मारे बाहर निकला। जैसे ही वह आंगन में पहुंचा तो पीछे से कमरे में छुपे तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया। तेंदुए ने उसके सिर, कान, गर्दन सहित शरीर के अन्य हिस्सों में पंजे और दांत से वार कर गहरे जख्म बना दिए। मदद के लिए लगाई आवाज सुनकर साथियों और आसपास के लोग शोर मचाते हुए घटनास्थल की ओर दौड़े तो तेंदुआ भाग गया।
घटना में घायल सुरेंद्र को साथियों ने बेस अस्पताल पहुंचाया। चिकित्सकों ने उसका उपचार शुरू किया और उसके शरीर पर 25 टांके लगे। संयोग से उसकी जान बच गई। बेस अस्पताल के डॉ. अनिल पांडे ने बताया कि उसकी हालत खतरे से बाहर है। डॉ. सुनील, डॉ. अजय रावत, वार्ड ब्वॉय महेंद्र कनवाल उपचार करने में जुटे रहे। वहीं इस घटना में पूरे क्षेत्र में दहशत है।
कहते हैं कि तेंदुए का एक वार जीवन छीनने के लिए काफी है। लेकिन कारपेंटर और तेंदुए के बीच हुए संघर्ष में आखिरकार हौसले की जीत हुई। कारपेंटर सुरेंद्र तीन मिनट तक तेंदुए के साथ संघर्ष करता रहा और वह अपनी जान बचाने में सफल रहा। सामान लेने कमरे में घुसे कारपेंटर ने जब दूसरे कमरे से कुछ आवाज सुनी तो वह डरा-सहमा बाहर निकल आया। लेकिन तेंदुए ने पीछे से उस पर अचानक हमला कर दिया। तेंदुए के हमला करते ही उसका भी हौसला जागा और वह तीन मिनट तक जज्बे के साथ तेंदुए के वार का जवाब देता रहा।
आखिरकार इस संघर्ष में उसकी जीत हुई और तेंदुए को उसके आगे हार मानते हुए भागना पड़ा। हालांकि उसकी हिम्मत को साथियों और आसपास के लोगों के शोर से बल जरूर मिला। जिले में नगर से लेकर गांवों तक तेंदुए की दहशत है। तेंदुए ने बीते एक साल में पांच लोगों को मौत के घाट उतारा है, जबकि उसके हमले में छह लोग घायल हुए हैं। सोमेश्वर क्षेत्र में दो, जौरासी में एक व्यक्ति और मोहान में एक महिला को तेंदुए ने मौत की नींद सुलाया है।
जिला मुख्यालय के खत्याड़ी, ढूंगाधारा, थपलिया, नरसिंहबाड़ी, लमगड़ा के सिरौनिया और आसपास के क्षेत्रों में तेंदुए का आतंक लंबे समय से बरकरार है। दो माह पूर्व ही नगर के धारानौला में एक साथ दो तेंदुए चहलकदमी करते हुए सीसीटीवी में कैद हुए थे। अब दिनहदाड़े हुई इस घटना के बाद लोगों में दहशत बढ़ गई है और उन्होंने तेंदुए के आतंक से निजात दिलाने के लिए उचित कदम उठाने की मांग वन विभाग से की है।
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