पुस्तक समीक्षा : बेहद अपनापन है रविन्द्र राघव की कविताओं में
प्रेम के सहज रंगों से सराबोर कविता में मन का स्पंदन
पुस्तक समीक्षा : बेहद अपनापन है रविन्द्र राघव की कविताओं में, रविन्द्र राघव की कविताओं में बेहद अपनापन के साथ प्रेम इसके कैनवास के भीतर-बाहर दस्तक देता है और इस प्रक्रिया में मौजूदा समय में प्रेम यहां जीवन की विषम और जटिल परिस्थितियों को उजागर करता है। ✍🏻 राजीव कुमार झा
सुपरिचित कवि रविंद्र राघव की कविताओं में प्रेम और श्रृंगार के सहज रंगों का समावेश है और इनमें आत्मिक भावों की सुंदर अभिव्यक्ति समाई हुई है। इनके कविता संग्रह ” हमारी तुम्हारी जिंदगी ” में संकलित शे’रो शास्त्रियों और ग़ज़लों को आद्योपांत पढ़ते हुए इस बात को भलीभांति जाना-समझा जा सकता है और बेहद सरस शैली में विभिन्न रंग रूपों में लिखी गयीं अपनी इन कविताओं में प्रेम के इंद्रधनुषी वितान में कवि जीवन के सहज फलक पर आत्मीय संवाद करता दिखाई देता है।
वार्तालाप शैली में लिखी गयीं इन प्रेम कविताओं में प्रेम से पगे कविमन की आहट में निरंतर जीवन में उसके अपनी प्रियतमा के पास होने के आनंद का भाव समाया है और यहां कविता अपनी भाव, भाषा और शिल्प में सदैव जिंदगी के तमाम उपक्रमों के साथ प्रेम से एकाकार होती प्रतीत होती है। इसे रविन्द्र राघव की कविताओं की सबसे बड़ी खासियत के रूप में देखा जा सकता है।
प्रेम के मनोभावों में युवा मन के उमंग और उत्साह की प्रधानता होती है और इसमें समाहित आत्मिक अनुभूतियों में लौकिक जीवन की कामनाओं को सहजता से रचा-बसा देखा जा सकता है। रविन्द्र राघव के प्रस्तुत कविता संग्रह में संकलित कविताएं इस दृष्टि से बेहद पठनीय हैं और इसमें कवि प्रेम के सहज रंगों में इसके जीवन दर्शन की तमाम गहनताओं से दूर कविता में अपने मन के भावों को
बातचीत की शैली में प्रकट करता प्रतीत होता है।
यहां कविता इस रंगरूप में हमारे आसपास के परिवेश के प्रति गहरे और सच्चे अनुराग के भावों को पंक्ति- दर-पंक्ति समेटती दिखाई देती है और इसमें आज के जीवन की तमाम तरह की कृत्रिमता और बनावटीपन से परे हृदय के नैसर्गिक भावों का समावेश काव्य फलक पर सृजन के नये रंगों की छटा को प्रकट करता है।
कुछ तो बात थी हमारी मोहब्बत में सनम,
जो कुछ कभी दीवाना तो कभी पागल कह गयी
यादों के सिलसिले कुछ यूं मचलते रहे,
जैसे सूने रेगिस्तान में काफिले चलते रहे
फासले इस कदर बढ़े हमारे दरम्यान
कि वजह ना तुम बयां कर सकी ना मैं समझ सका
लोग अपने अनजाने से लगते हैं
और अनजानों में अपना ढूंढ़ते हैं हम आज
रविन्द्र राघव की कविताओं में बेहद अपनापन के साथ प्रेम इसके कैनवास के भीतर-बाहर दस्तक देता है और इस प्रक्रिया में मौजूदा समय में प्रेम यहां जीवन की विषम और जटिल परिस्थितियों को उजागर करता है। यथार्थ और कल्पना के मेल से लिखी गयीं इस संग्रह की छोटी-बड़ी समग्र कविताओं में समय और समाज के यथार्थ का गहरा अवलोकन है और इसमें मूलत: कवि के हृदय के स्फुट भावों से उपजे मनोभावों का समावेश हुआ है। इसके बावजूद इस संग्रह की ज्यादातर कविताएं जीवन के वैयक्तिक राग विराग को अपनी विषयवस्तु में प्रकट करती हैं।
तुम्हारी हमारी जिंदगी (कविता संग्रह)
कवि : रविन्द्र राघव
प्रकाशक: Notion Press, Old no 38,New no. 6, McNichols Road,, Chetpet, Chennai 600031
Price : 120
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