रक्तदान है महादान

भावना के जीवन में आये यकायक बदलाव को देखते हुए डॉ ० आरूषि ने भावना से कहा कि रक्तदान करके आप रक्त की कमी से होने वाली मौत को न सिर्फ रोक सकते हैं बल्कि आप का डोनेट किया गया ब्लड किसी जरूरतमंद की जिंदगी में उजाला भी कर सकता हैं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
कल्पना, सपना, अंशुल व डा ० आरुषि समय समय पर रक्तदान शिविर में जाकर रक्तदान किया करते थे। उनका कहना हैं कि अगर हमारे रक्तदान से किसी की जान बच जाये तो इससे बडा कोई तोहफा नहीं हो सकता। लेकिन भावना हमेंशा यही सोचती रहती थी कि रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी आती हैं, बस इसी डर से न तो वह रक्तदान करती और न किसी को रक्तदान के लिए प्रेरित करती।
एक दिन उसका भाई शशिधर सडक दुर्घटना में घायल हो गया। उसके शरीर से काफी खून बह गया और उसे रक्त की जरूरत पडी। तत्काल सूचना मिलते ही सपना, कल्पना, डा ० आरुषि व अंशुल अस्पताल पहुंचे और रक्तदान कर शशिधर के प्राण बचाए। कुछ ही दिनों में शशिधर की तबियत में काफी सुधार हुआ। आज भावना को समझ मैं आया कि रक्तदान का कितना महत्व है। उसने सभी सहेलियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बहनों ! मैं आज यह संकल्प लेती हूं कि भविष्य में जब भी किसी को रक्त की जरूरत होगी, तब मैं रक्तदान अवश्य ही करूंगी।
भावना अब सभी से यही कहती फिरती है कि रक्तदान से बढकर कोई और तोहफा नहीं है। इससे बढकर कोई और पुण्य का कार्य नहीं हो सकता। जरूरतमंद लोगों की मुसीबत के समय मदद करना ही सच्ची मानवता हैं। रक्तदान करने के बाद जो खुशी मिलती है उसे शब्दों में व्यक्त नही किया जा सकता हैं। अब भावना हर वर्ष अपने जन्म दिन व भाई शशिधर के जन्म दिन पर रक्तदान शिविर आयोजित करती हैं।
अब वह न केवल रक्तदान के लिए लोगों को प्रेरित ही करती हैं, बल्कि लोगों को रक्तदान की इंपोर्टस भी बता रही हैं। वे कहती है कि रक्तदान क ई लोगों की जान बचाता हैं। इस बात का अहसास हमें तब होता है जब हमारा अपना कोई जिंदगी और मौत के बीच जूझता हैं। उस वक्त हम नींद से जागते हैं और उसे बचाने के लिए ब्लड के इंतजाम की जद्दोजहद करते हैं, क्योंकि जीवन बचाने के लिए ब्लड की जरूरत पडती हैं।
भावना के जीवन में आये यकायक बदलाव को देखते हुए डॉ ० आरूषि ने भावना से कहा कि रक्तदान करके आप रक्त की कमी से होने वाली मौत को न सिर्फ रोक सकते हैं बल्कि आप का डोनेट किया गया ब्लड किसी जरूरतमंद की जिंदगी में उजाला भी कर सकता हैं। उसने कहा कि आपके रक्त से किसी की जान बच जाए तो इससे बडी कोई मानव सेवा नहीं है। तभी तो कहा गया है कि रक्तदान — महादान।
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