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यह उपलब्धि जहानाबाद पहुंची, तो जिले के साहित्यिक और सामाजिक संगठनों में हर्ष की लहर दौड़ गई। स्थानीय बुद्धिजीवियों ने इसे जिले की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि सत्येंद्र कुमार पाठक ने अपनी लेखनी और शोध के माध्यम से जहानाबाद का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर दिया है। यह सम्मान आने वाली पीढ़ियों को हिंदी साहित्य और शोध की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करेगा।
नई दिल्ली | देश की राजधानी नई दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित विज्ञान भवन भारतीय अस्मिता और हिंदी भाषा के एक ऐतिहासिक उत्सव का साक्षी बना। विश्व हिंदी परिषद द्वारा आयोजित भव्य ‘अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन’ में देश-विदेश के विद्वानों ने भाग लिया और बिहार की साहित्यिक प्रतिभा ने अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती के उपलक्ष्य में 21 और 22 नवंबर 2025 को आयोजित इस द्विदिवसीय महाकुंभ में जहानाबाद के सुप्रसिद्ध साहित्यकार और इतिहासकार श्री सत्येंद्र कुमार पाठक को उनके उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए सम्मानित किया गया। यह सम्मान बिहार राज्य के लिए अत्यंत गौरव का विषय बना।
सम्मेलन के समापन समारोह का आयोजन विज्ञान भवन के हॉल नंबर 5 में 22 नवंबर को किया गया। समारोह के दौरान माहौल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, जब विश्व हिंदी परिषद के आजीवन सदस्य श्री सत्येंद्र कुमार पाठक को मंच पर आमंत्रित किया गया। हिंदी साहित्य और इतिहास में उनके गहन अध्ययन को मान्यता देते हुए, उन्हें ‘श्रेष्ठ शोध पत्र प्रमाणपत्र’ और स्मृति चिह्न (मोमेंटो) प्रदान कर सम्मानित किया गया। सम्मेलन के दौरान आयोजित सत्रों में ‘राष्ट्रीयता और मानवता के प्रतीक’, ‘हिंदी का वैश्विक परिदृश्य’ और ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय का दर्शन’ जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार विमर्श हुआ। इन सत्रों में श्री पाठक के विचारों और शोध ने विद्वानों को गहराई से प्रभावित किया। सम्मेलन की भव्यता इस बात से स्पष्ट हुई कि हिंदी भाषा के वैश्विक प्रसार और उसके महत्व पर गंभीर मंथन हुआ। अमेरिका, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, ऑस्ट्रेलिया, जापान और इथियोपिया जैसे देशों से हिंदी प्रेमी, लेखक और विद्वान इस कार्यक्रम में शामिल हुए। ऐसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर जहानाबाद के साहित्यकार का सम्मान पाना यह साबित करता है कि हिंदी की सेवा में क्षेत्रीय सीमाएं बाधक नहीं हैं।
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सम्मेलन में विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विपिन कुमार, प्रख्यात हिंदी सेवी और पद्मभूषण आचार्य यारलागड्डा लक्ष्मी प्रसाद, सम्मेलन संयोजक और प्रख्यात विदुषी प्रो. योजना कालिया सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। उन्होंने श्री पाठक और अन्य सम्मानित विभूतियों के साहित्यिक और शोध कार्य की भूरी-भूरी प्रशंसा की। इस अवसर पर बिहार की सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव और अन्य साहित्यकारों को भी उनकी अनवरत साहित्य साधना के लिए सम्मानित किया गया।
सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय दूतावासों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। हथिथोपिया दूतावास की गेब्रु टेकले, फिजी दूतावास की मरियम लागी, सूरीनाम दूतावास की सुनैना मोहन, गुयाना दूतावास के केशव तिवारी, ऑस्ट्रेलिया की डॉ. मृदुल कीर्ति और डॉ. मधु खन्ना, अमेरिका की डॉ. दुर्गा सिन्हा उदार, कादंबरी शंकर और जापान की राम पूर्णिमा ने हिंदी के वैश्विक परिदृश्य और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर व्याख्यान दिए। उन्होंने कहा कि हिंदी विश्व पटल पर अपनी मजबूती के साथ उभर रही है और भविष्य में यह वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रभावशाली बनेगी।
समारोह का एक मुख्य आकर्षण महिला साहित्यकारों के उत्थान पर चर्चा रही। राष्ट्रीय महिला काव्य मंच (बिहार) की अध्यक्षा डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला काव्य मंच की अध्यक्षा (अमेरिका) डॉ. दुर्गा सिन्हा ‘उदार’ को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ. दुर्गा सिन्हा ने घोषणा की कि सम्मानित साहित्यकार पुस्तक साहित्य चेतना का मार्ग प्रशस्त करेगी और महिला लेखन को विश्व पटल पर स्थापित करने के उद्देश्य से ‘महिला साहित्यकार मंथन’ नामक पुस्तक के प्रकाशन का प्रस्ताव रखा। इसके लिए डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव को अधिकृत किया गया।
जब यह उपलब्धि जहानाबाद पहुंची, तो जिले के साहित्यिक और सामाजिक संगठनों में हर्ष की लहर दौड़ गई। स्थानीय बुद्धिजीवियों ने इसे जिले की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि सत्येंद्र कुमार पाठक ने अपनी लेखनी और शोध के माध्यम से जहानाबाद का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर दिया है। यह सम्मान आने वाली पीढ़ियों को हिंदी साहित्य और शोध की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करेगा। यह आयोजन न केवल बिहार की साहित्यिक पहचान को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने वाला था, बल्कि यह हिंदी भाषा की महत्ता, साहित्य की विविधता और महिला सशक्तिकरण को भी उजागर करने वाला ऐतिहासिक कार्यक्रम बन गया।








