डॉ. भगवान सहाय मीना
बाड़ा पदमपुरा, जयपुर, राजस्थान
बापू मेरे भारत भाग्य विधाता।
थे वे सत्य अहिंसा पथ प्रदाता।
पुतलीबाई कबा गांधी के प्यारे,
साबरमती के संत स्वराज दाता।
बने पहचान शांति दूत सत्याग्रही,
राष्ट्रपिता इन्हें जन-जन पुकारता।
हमें मिला आजादी का उजियारा,
चलके बापू का चरखा सूत काता।
यह गाते रघुपति राघव राजा राम,
जोड़े जन हित अफ्रीका से नाता।
जो खेड़ा चम्पारण से शुरू किया,
बन गये हर आंदोलन के प्रणेता।
अंग्रेजों भारत छोड़ो उद्घोष हुआ,
किये गर्जना भारत के जन नेता।
घर- घर बिगुल बजा आजादी का,
परदेशी का यूं छूट पसीना जाता।
मचा ब्रिटिश रानी के घर हड़कंप,
अंतिम गौरों ने छोड़ी भारत माता।