
🌟🌟🌟
यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में नए साक्ष्यों के आधार पर सीबीआई कोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन की जमानत याचिका खारिज कर दी। खालिद और सुमन की चैट से मिली जानकारी ने जांच को और गहरा कर दिया है, जबकि मामले की आंच अब बॉबी पंवार तक पहुंच चुकी है।
- सुमन की चैट से खुला बड़ा राज, कोर्ट ने माना गंभीर रोल
- पेपर लीक की कड़ियां बॉबी पंवार तक पहुंचीं
- सीबीआई की जांच में नए सबूत, बढ़ सकती हैं गिरफ्तारियां
- देहरादून में प्रतियोगी परीक्षाओं पर फिर संकट
देहरादून | यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में जांच अब तेज़ मोड़ पर है और नए तथ्यों का उजागर होना इस पूरे प्रकरण को और गंभीर बनाता जा रहा है। ताज़ा घटनाक्रम में सीबीआई कोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से माना कि प्रथम दृष्टया सुमन की भूमिका पेपर लीक में गहरी संलिप्तता को दर्शाती है और यदि उन्हें रिहा किया जाता है तो जांच प्रभावित हो सकती है। सीबीआई द्वारा जमा किए गए साक्ष्यों में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा वह चैट और मैसेज हैं, जो परीक्षा के दिन सुमन और मुख्य आरोपी खालिद के बीच आदान-प्रदान हुए थे।
जानकारी के मुताबिक परीक्षा वाले दिन सुबह 7:55 बजे खालिद ने सुमन को संदेश भेजकर कहा—“मैडम थोड़ा टाइम निकाल लो, सिस्टर का एग्जाम है, MCQ सॉल्व कर देना प्लीज।” इसके जवाब में 8:02 बजे सुमन ने “ओके” लिखते हुए सहमति जताई। इन संदेशों ने स्पष्ट कर दिया कि पेपर लीक की प्रक्रिया में सुमन की प्रत्यक्ष भूमिका रही है और उन्होंने इस गैरकानूनी गतिविधि में सहयोग किया। जांच केवल सुमन तक ही सीमित नहीं रही है। इसकी कड़ियां बेरोजगार संघ के नेता बॉबी पंवार तक भी पहुंच चुकी हैं। हाल ही में सीबीआई ने बॉबी पंवार से करीब नौ घंटे तक पूछताछ की थी, जिसमें उनसे सुमन चौहान से संपर्क, बातचीत और पेपर उपलब्ध कराने के तरीकों पर कई सवाल किए गए।
Government Advertisement
बताया जा रहा है कि 28 नवंबर को सुमन चौहान की गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ कि सुमन ने ही पेपर बॉबी पंवार को उपलब्ध कराया था। पेपर मिलने के बाद बॉबी पंवार ने इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेशभर में हलचल मचा दी थी। इसके बाद जांच एजेंसियों ने यह पता लगाने की कोशिशें तेज़ कर दीं कि आखिर यह पेपर किन माध्यमों से बाहर आया और इस पूरी श्रृंखला में किन-किन लोगों की भूमिका रही। सीबीआई का कहना है कि मामले में और भी कई संदिग्धों की पहचान की जा रही है।
एजेंसी ने संकेत दिया है कि आगे और गिरफ्तारियों से इनकार नहीं किया जा सकता। पेपर लीक प्रकरण ने उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसके चलते जांच और कार्रवाई दोनों को और सख़्ती के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। यह मामला न केवल परीक्षा तंत्र पर अविश्वास बढ़ा रहा है बल्कि युवाओं के भविष्य से जुड़ी गंभीर चिंताओं को भी उजागर कर रहा है।





