साहित्य लहर
बाबूजी

सुनील कुमार
हमसे पूछो
कैसे होते हैं बाबूजी
घर की नैय्या मां
पतवार होते हैं बाबूजी।
दिन-रात मेहनत कर
परिवार चलाते बाबूजी
भले-बुरे का भेद बताकर
सही राह दिखाते बाबूजी।
हमें भरपेट खिलाने को
खुद भूखे रह जाते बाबूजी
चैन से हमें सुलाने को
रातों को जागते बाबूजी।
हाथों में ले कॉपी-किताब
स्कूल पहुंचाते बाबूजी
हो जाते जब हम बीमार
दवा कराने ले जाते बाबूजी।
सैर-सपाटा हमें कराने
कंधे पर बिठाते बाबूजी
हो जाते जब हम नाराज
हमें मनाते बाबूजी।
धूल सने कपड़ों में भी
हमें गले लगाते बाबूजी।
सुनते हमारी हर बात
खुद से भी ज्यादा रखते
हमारा ध्यान बाबूजी।
खुशियों के खातिर हमारी
अपनी खुशियां देते त्याग बाबूजी।
दिल में है बस यही अरमान
हर जन्म मिले तुम्हारा प्यार बाबूजी।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमारलेखक एवं कविAddress »ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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