ऐ सनम मेरे
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
जब प्रातः बेला में चिड़ियां गाती हैं
कलियां खिलकर फूल बन जाती हैं
ऐ सनम मेरे तब याद तुम्हारी आती है ।
जब बारिश की बूंदें छम-छम गिरती हैं
बिजलियां तड़-तड़ करके चमकती हैं
ऐ सनम मेरे तब याद तुम्हारी आती है ।
ठंडी – ठंडी पवन हिलोरे लेती है
जुल्फों की खुशबू का अहसास कराती है
खेतों में दूर तलक फैली हरियाली लहराती है
हृदय में मिलन की खुशियां भर जाती हैं ।
जब मस्ती में नदियां उफानभर बहती हैं
प्रियतम सागर के आगोश में जा मिलती हैं
ऐ सनम मेरे तब याद तुम्हारी आती है ।
जब चांदनी रात में दिशा-दिशा बोल पड़ती हैं
छोटी-छोटी आहटें भी डरा नहीं लगती हैं
ऐ सनम मेरे तब याद तुम्हारी आती है।
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »मुकेश कुमार ऋषि वर्मालेखक एवं कविAddress »संचालक, ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय | ग्राम रिहावली, डाकघर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, (उत्तर प्रदेश) | मो : 9627912535Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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