छोटी-छोटी गलतियों से बचें

सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
हर इंसान अपने जीवन में छोटी-छोटी गलतियां अवश्य ही करता हैं। ऐसा कोई भी इंसान नहीं है जिसने अपने जीवन में कभी भी कोई गलती न की हो। कहा भी जाता हैं कि इंसान गलतियां करके ही या ठोकर खाकर ही सीखता हैं। अतः जो गलती हो उसे तत्काल सुधार लेना चाहिए व साथ ही साथ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वह गलती हम से दोबारा नहीं हो। इसलिए कहते हैन कि छोटी-छोटी गलतियों से बचना चाहिए, क्योंकि इंसान पहाड़ से नहीं, बल्कि पत्थरों से ठोकरें खाता हैं।
प्रेम और विश्वास : प्रेम और विश्वास ही जीवन में सुख देता हैं। प्रेम हैं तो चारों ओर खुशियां ही खुशियां हैं। जीवन खुशहाल हैं। जीवन स्वर्ग मय हैं। जहां खुशियां ही न हो भला वह जीवन भी कोई जीवन हैं। यह प्रेम ही तो हैं जो एक दूसरे में विश्वास का भाव जागृत करता है, वरना इस कलयुग में कौन किस पर विश्वास करता हैं। प्रेम ही विश्वास की पहली सीढ़ी है जो हमें परायों से भी अपनेपन का अहसास कराता है। इसलिए कहा जाता है कि प्रेम और विश्वास कभी भी नहीं खोना चाहिए। चूंकि प्रेम हर किसी से होता नहीं और विश्वास हर किसी पर किया नहीं जा सकता।
परिवर्तन आसान नहीं होता : आज समाज में हर कोई एक दूसरे से अपने स्वभाव को बदलने को कहता हैं लेकिन खुद अपने आपको नहीं बदलता हैं। राय देना आसान है लेकिन उसको खुद पर लागू करना कठिन लगता हैं। अगर इंसान दूसरे को बदलने के बजाय खुद को ही बदल लें तो समाज व राष्ट्र में अपने आप बदलाव आ जायेगा। परिवर्तन कभी भी आसान नहीं होता है, लेकिन हमेंशा सम्भव होता हैं। परिवर्तन को रोका नहीं जा सकता वह तो होकर ही रहता हैं। बस पहल अपने से करके देखिए।
शहद व जहर : जीवन में वाणी का बड़ा ही महत्व है। इसलिए जब भी बोलें तब सोच समझ कर समय व परिस्थिति को देखकर ही बोलें। बिना वजह बकवास न करें। यह हमारी वाणी का ही परिणाम है कि वह हम जन जन का मित्र बना दे और यही वाणी जन जन से पीटाई करवा दें। इसलिए मधुर व्यवहार करें, श्रेष्ठ बोलें, श्रेष्ठ लिखें, अच्छी सोच रखे। हमारी वाणी अमृत तुल्य होनी चाहिए । हमारे बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि कड़वा बोलने वाले का शहद भी नहीं बिकता हैं जबकि मीठा बोलने वाला जहर भी आसानी से बेच देता हैं। इसलिए जब भी बोलें तब सोच समझ कर ही बोलें और अच्छा बोले जो सर्वश्रेष्ठ हो।
जीने का मजा : कहते हैं कि जिंदगी में सब कुछ मिल जायेगा तो तमन्ना किसकी करोंगे, अधूरी ख्वाहिशे ही तो जीने का मजा देती हैं। ख्वाहिशें कभी भी पूरी नहीं होती हैं। एक ख्वाहिश पूरी भी नहीं होती हैं कि मन में दूसरी ख्वाहिश जागृत हो जाती हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि ख्वाहिश कभी भी पूरी नहीं होती हैं इसलिए इन पर अंकुश रखना चाहिए। अधूरी ख्वाहिशे ही तो जीने का मजा देती हैं। अतः ख्वाहिश पूरी करने के चक्कर में अपना समय बर्बाद न करें।