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आत्मकथ्य : कलम का संदेश

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

वैसे मैं कोई बड़ी तोप नहीं हूं, लेकिन हां, कोई ऐरी गैरी निहायत नाचीज भी नहीं हूं । बेशक ! तीस मार खां नहीं हूं, फिर भी अपना कुछ अस्तित्व तो है । मैं दिन को दिन और रात को रात कह सकता हूं, गलत को सही और सही को गलत नहीं कह सकता । मेरे पास थोड़ी – बहुत शक्ति है वो कलम की शक्ति है और कलम मुझे विरासत में नहीं मिली ।

मेरे मां-बाप ने मुझे इतना काबिल बनाया कि मैं कलम को तलवार बना सकता हूं । वो अलग बात है कि लिखा हुआ तुरंत असर नहीं करता और जब असर करता है तो उसका असर सदियों तक जिंदा रहता है । तीन कविता संग्रह सहित कुल सात संपादित संग्रह – पत्रिकाएं प्रकाशित हो चुकी हैं । चीन, अमेरिका, नेपाल सहित स्वदेश में फुटकर हजारों रचनाएं ऑनलाइन व ऑफलाइन प्रकाशित हो चुकी हैं ।

लगभग 40 पांडुलिपियां प्रकाशन की प्रतीक्षा में धूल फांक रही हैं । अखिल भारतीय स्तर पर 250 से अधिक छोटे-बड़े सम्मान प्राप्ति का अवसर मिला है । अब ऐसे में तुम यदि मुझे नजरअंदाज करते हो तो करो, मुझे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला । तुम अपने पद,धन के अंहकार या निजी स्वार्थों के चलते ऐसा कर रहे हो तो गलती तुम्हारी है । सुधरो !

आज का लिखा कल इतिहास बनेगा, आज का छपा कल दिखेगा, बेशक उस समय मैं न होहूंगा पर मेरे नाम की महक ऐसी होगी कि तुम चाहते हुए भी उसे मिटा न सकोगे, उस वक्त तुम्हारा पद, तुम्हारा धन मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा । इसीलिए कहता हूं, मुझे नजरअंदाज करने से तुम्हें कोई लाभ नहीं । मैं अगर आज तुम्हें कुछ दे नहीं पा रहा तो गलती मेरी है, लेकिन मैं तुमसे कुछ छीन भी तो नहीं रहा, परंतु मैं जो दे रहा हूं वो आज नहीं दिख रहा, कल अवश्य दिखेगा।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

लेखक एवं कवि

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ग्राम रिहावली, डाकघर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, (उत्तर प्रदेश) | मो : 9876777233

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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