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साहित्य लहर

बसंत ने अब जैसे धरा सँवारी

भुवन बिष्ट

सजने लगी धरा अब पावन।
आया बसंत अब मनभावन।।
पतझड़ बीते बसंत आता।
जीवन चक्र यह समझाता।।

बसंत ने अब जैसे धरा सँवारी ।
महके कलियाँ लगती हैं प्यारी।।
सुंदरता चहुँ ओर अब छायी।
सारी धरती अब मुस्कायी।।

सजने लगी धरा अब पावन।
आया बसंत अब मनभावन।।
धरा सजी है दुल्हन सी सारी।
बसंत से यह लगती है प्यारी ।।

सज गयी अब यहाँ धरा हमारी।
देखो सुंदर पीतांबर है धारी ।।
सुख दुःख का अहसास कराये।
पतझड़ बित बसंत आ जाये।।

पंछी भवर मधुर अब गाये।
बसंत में सब जग मुस्काये।।
श्रृंगार धरा ने बसंत में पाया ।
सजी धरा बसंत अब आया।।

सजने लगी धरा अब पावन।
आया बसंत अब मनभावन।।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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From »

भुवन बिष्ट

लेखक एवं कवि

Address »
रानीखेत (उत्तराखंड)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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