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यह आलेख कला और रचनात्मकता के महत्व को रेखांकित करते हुए बताता है कि कला व्यक्ति को आदर्श जीवन जीने की दिशा देती है। डॉ. आरुषि माथुर और डॉ. दिव्या मंगल के विचारों के माध्यम से यह संदेश उभरता है कि पेशेवर जीवन के साथ कला का संवर्धन भी उतना ही आवश्यक है।
- हर व्यक्ति में छिपा हुनर और उसे निखारने की आवश्यकता
- कलाकारों को सम्मान और प्रोत्साहन क्यों जरूरी
- चिकित्सा और कला का संतुलित समन्वय
- समय का सदुपयोग और सपनों को साकार करने की प्रेरणा
जोधपुर। हर व्यक्ति में हुनर छिपा होता है, बस जरूरत है उसे उभारने और प्रोत्साहन देने की। कलाकारों को सम्मान मिलना चाहिए, क्योंकि वे भी इस समाज के अभिन्न अंग हैं। इसलिए समय का सदुपयोग करते हुए अपने अंदर छिपी हुई प्रतिभा को निखारते रहना चाहिए। सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन उन्हें समय रहते पूरा करने का प्रयास करते रहना भी जरूरी है। डॉ. आरुषि माथुर ने साहित्यकार सुनील कुमार माथुर के साथ एक साक्षात्कार में यह बात कही।
डॉ. आरुषि माथुर और डॉ. दिव्या मंगल जब भी समय मिलता है, तब पेंटिंग करके जहाँ एक ओर अपनी कला को ऊँचाइयाँ देने का प्रयास करती हैं, वहीं दूसरी ओर वे समय का सदुपयोग भी करती हैं। उनका कहना है कि डॉक्टर भी एक आम इंसान है और समाज का अभिन्न अंग है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी कला और प्रतिभा को उपेक्षित कर दें। चूँकि कला हमें एक आदर्श जीवन जीने का मूल मंत्र देती है।








