
सुनील कुमार माथुर
जोधपुर, राजस्थान
यह मानव जीवन परमात्मा का दिया हुआ एक अनुपम उपहार है, जिसे हमें सुंदरता, मानवीय मूल्यों और ईश्वर भक्ति से भरपूर करते हुए व्यतीत करना चाहिए। अन्यथा, यह संसार तो एक सराय ही है—जहां व्यक्ति आता है, अपने कर्म करता है और फिर परलोक सिधार जाता है। किन्तु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने सत्कर्मों, विचारों और आचरण से समाज में ऐसी अमिट छाप छोड़ जाते हैं कि उनके देहावसान के बाद भी उनकी उपस्थिति का आभास बना रहता है। वे पुण्यात्मा अपने परिवार और समाज को निरंतर प्रेरणा, संरक्षण और आशीर्वाद देते रहते हैं।
23 जुलाई 2025 को शिक्षाविद श्री विनोद कुमार तिवारी जी की धर्मपत्नी एवं धर्मपरायण महिला श्रीमती मधु शर्मा का दुखद निधन हो गया। उनका जाना केवल परिवार ही नहीं, समाज के लिए भी एक अपूरणीय क्षति है। वे अत्यंत मिलनसार, धार्मिक प्रवृत्ति की, त्यागमयी एवं सहनशील महिला थीं। उन्होंने परिवार को एकसूत्र में बांधकर उसे वटवृक्ष की तरह स्थायित्व और छाया प्रदान की। उनकी सुमधुर स्मृति, सहृदयता, धर्मपरायणता और चारित्रिक महानता सदैव स्मरणीय रहेगी। वे केवल एक आदर्श गृहणी ही नहीं, बल्कि प्रेरक चिंतक, निर्भीक वक्ता और नारी शिक्षा की प्रबल समर्थक थीं। उनका विश्वास था कि बालक-बालिका में कोई भेद नहीं होना चाहिए, और एक शिक्षित नारी दो परिवारों को संवारती है। वे कहती थीं कि नारी का व्यक्तित्व पुरुषों से कम नहीं आंका जाना चाहिए।
उनका जीवन स्वयं में सादा जीवन, उच्च विचार का जीवंत उदाहरण था। उन्होंने सेवा और सादगी को जीवन का मूल मंत्र माना और कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उनकी सोच, कर्मशीलता, संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण ने समाज में उन्हें एक सम्माननीय स्थान दिलाया। वे एक कुशल समाजसेवी होने के साथ-साथ प्रेरणा स्रोत भी थीं। उन्होंने लोगों को सदैव उत्कृष्टता, नैतिकता और निस्वार्थ सेवा की ओर अग्रसर किया। उनका निधन एक ऐसी शून्यता छोड़ गया है जिसे भर पाना कठिन है।
हम उनके अद्वितीय योगदान, विनम्रता और प्रेरणादायक उपस्थिति को कभी भुला नहीं पाएंगे। वे हमारे दिलों में सदा जीवित रहेंगी। उनके दिखाए मार्ग पर चलना और उनके अधूरे कार्यों को पूरा करना ही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को परम शांति प्रदान करें और परिजनों को यह वज्रपात सहने की शक्ति दें।
Om shanti