ऋषिकेश में सारी व्यवस्थाएं हुईं ध्वस्त, चार घंटे ठप रहा पंजीकरण
ऋषिकेश में सारी व्यवस्थाएं हुईं ध्वस्त, चार घंटे ठप रहा पंजीकरण, यात्रियों की लाइनें टूट गईं, जिससे उनके बीच आपस में भी कुछ देर बहस भी हुई। स्लॉट फुल… यात्रियों ने कहा कि चार घंटे से लाइन में लगे हैं।
ऋषिकेश। चारधाम यात्रा ट्रांजिट कैंप में दूसरे दिन तीर्थयात्रियों की भीड़ जुटने पर सारी व्यवस्थाएं चरमरा गईं। सुबह से ही यात्री पंजीकरण के लिए लाइन में लगने लगे। सुबह 10 बजे तक एक हजार से ज्यादा यात्री कैंप में एकत्र हो गए थे। यहां आठ काउंटर पर 16 लाइनें लग चुकी थीं। बनाया गया टिनशेड बहुत छोटा पड़ गया और यात्री धूप में खड़े होने को मजबूर हुए।
सुबह 10 बजे स्लॉट फुल होने की सूचना दे दी गई, जिसका यात्री विरोध करने लगे। इस बीच यात्रियों की लाइनें टूट गईं, जिससे उनके बीच आपस में भी कुछ देर बहस भी हुई। स्लॉट फुल होने की सूचना पर यात्रियों ने कहा कि चार घंटे से लाइन में लगे हैं। पंजीकरण का नंबर आया तो स्लॉट फुल होने की सूचना दे दी गई। सुबह सात बजे से दोपहर दो बजे तक अलग-अलग अंतराल में स्लॉट उपलब्ध न होने से यात्रियों को पंजीकरण के लिए इंतजार करना पड़ा।
सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक पंजीकरण ठप ही रहा। इस बीच तमाम यात्री अपनी बारी का इंतजार करने के लिए धूप में भी बैठ गए, जिस पर प्रशासन ने आनन-फानन में ट्रांजिट कैंप परिसर में टेंट लगवाना शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री के आईएसबीटी में कार्यक्रम के कारण ट्रांजिट कैंप में आने की सूचना पर कार्यदायी संस्था ने कैंप के मुख्य द्वार और शौचालयों पर ताले लगा दिए।
इससे तीर्थयात्री अपनी बारी का इंतजार करने के लिए धूप में और पेड़ों के नीचे बैठे, जबकि अंदर कुर्सियां खाली पड़ी थीं। अधिकारियों ने बताया कि सीएम के दौरे को देखते हुए कैंप भवन के भीतर स्वच्छता बनाए रखने के लिए दरवाजे और शौचालय बंद कर दिए गए थे। ट्रांजिट कैंप में अब भी कई काम अधूरे हैं। इस कारण कार्यदायी संस्था ने पर्यटन विभाग को इसे हैंडओवर नहीं किया है।
पीने के पानी के पर्याप्त स्टैंड पोस्ट नहीं लगे हैं, जिस कारण तीर्थयात्रियों को पानी के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ा। शौचालयों की सफाई के लिए सफाईकर्मी नहीं हैं। कुछ देर के लिए बिजली गुल हुई तो कैंप के पंखे और सभी काम ठप हो गए। यहां रखा डीजल जेनरेटर भी नहीं चलाया गया।
मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान कैंप भवन के भीतर गंदगी न हो। इसके लिए शौचालय व ट्रांजिट कैंप भवन के दोनों दरवाजों को बंद कर दिया गया था। मुख्यमंत्री के जाने के बाद ताले खोल दिए गए।
– योगेंद्र गंगवार, निदेशक, उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद
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