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बंगाल का स्वास्थ्य विभाग एक एआई आधारित ऐप विकसित कर रहा है, जो आशा कार्यकर्ताओं द्वारा जुटाए गए डेटा और अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट के आधार पर महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम का तुरंत पता लगाएगा। इससे समय रहते जांच और उपचार संभव हो सकेगा, जिससे गंभीर मामलों को शुरुआती चरण में ही पकड़ा जा सकेगा।
- बंगाल स्वास्थ्य विभाग की अनोखी पहल—स्तन कैंसर स्क्रीनिंग में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की एंट्री
- आशा कार्यकर्ताओं के मोबाइल में होगा खास ऐप, महिलाओं के कैंसर जोखिम का तुरंत पता चलेगा
- अब अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट करेगी रियल-टाइम विश्लेषण, हाई-रिस्क मरीजों की तुरंत होगी पहचान
- ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ में बड़ा कदम—आइपीजीएमईआर और आईटी कंपनी मिलकर तैयार कर रहे ऐप
कोलकाता। ब्रेस्ट कैंसर आज भी महिलाओं में सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है, और इसकी शुरुआत प्रायः बिना ध्यान दिए हो जाती है। कई महिलाएं शुरुआती संकेतों को नज़रअंदाज़ कर देती हैं, जिसके कारण बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती जाती है और इलाज कठिन होता जाता है। इसी चुनौती का समाधान खोजने के लिए पश्चिम बंगाल का स्वास्थ्य विभाग एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहा है। विभाग एक ऐसा एआई आधारित ऐप विकसित कर रहा है, जो स्तन कैंसर की पहचान प्रक्रिया को तेज, आसान और अधिक भरोसेमंद बनाएगा।
अक्टूबर का महीना ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है, और इसी अवधि में बंगाल स्वास्थ्य विभाग ने इस तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइपीजीएमईआर) को एक आईटी कंपनी के साथ मिलकर ऐप तैयार करने के लिए फंड जारी किया है। इस ऐप का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि इसे आशा कार्यकर्ताओं के स्मार्टफोन पर अपलोड किया जाएगा, जो पहले से ही गांवों, कस्बों और शहरों में घर-घर पहुंचती हैं।
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आशा कार्यकर्ता महिलाओं से कुछ बुनियादी लेकिन बेहद महत्वपूर्ण जानकारियाँ जुटाएँगी—जैसे स्तन में किसी तरह की गांठ, दर्द, या किसी भी प्रकार का असामान्य स्राव। यदि इन लक्षणों में से कोई भी मिलता है, तो महिला को नज़दीकी जिला या राज्य अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच के लिए भेजा जाएगा। अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट सीधे ऐप में रियल टाइम अपडेट हो जाएगी, जिससे स्वास्थ्य विभाग के पास एक अप-टू-डेट सूची तैयार होगी कि किन महिलाओं में कैंसर का खतरा अधिक है।
आइपीजीएमईआर के विशेषज्ञ डॉ. दिपेंद्र सरकार ने बताया कि ऐप पर काम शुरू हो चुका है और अगले पांच से छह महीनों में यह तैयार हो जाएगा। यह ऐप एक तरह का स्मार्ट असिस्टेंट होगा, जो अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट का विश्लेषण करके मरीजों को हाई-रिस्क और लो-रिस्क श्रेणी में बाँटेगा। हाई-रिस्क मरीजों को तुरंत मैमोग्राफी के लिए भेजा जाएगा, जबकि लो-रिस्क वाले मरीजों की निगरानी जारी रहेगी।
इस एआई आधारित प्रणाली के आने से स्वास्थ्य विभाग को न केवल संदिग्ध मामलों की पहचान समय से पहले करने में मदद मिलेगी, बल्कि हजारों महिलाओं को शुरुआती चरण में ही सही जांच और उपचार मुहैया कराने का रास्ता भी साफ होगा। स्तन कैंसर के खिलाफ इस तकनीकी हस्तक्षेप से बंगाल में महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा को बड़ी मजबूती मिलने की उम्मीद है।








